सोमवार, 28 जनवरी 2013

ढूंढते रहे अर्थ

मैंने
पृष्ठ पर पृष्ठ
भर दिये थे यह सोच कर
कि तुम पढ़ोगे
मेरी भावनाएं समझोगे
लेकिन, तुम मेरी
लिखावट में उलझे रहे
ढूंढते रहे व्याकरण की त्रुटियाँ
ठीक करते रहे मात्राएँ
भाँपते रहे,
खोजते रहे,
और लाते रहे
अपने-मेरे बीच
पंक्तियों के बीच के अर्थ ।















तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...