सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून 30, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गर्मी में बारिश

गर्मी में हवा के थपड़े चेहरे पर पड़ते हैं झन्नाटेदार झापड़ की तरह तपती धरती पर बारिश की बूंदे नथुनों में घुसती हैं माटी की सुगंध की तरह चेहरे पर बारिश की बूंदे लगती है माँ की दुआ की तरह।

निशान

मैं वहाँ जाता हूँ जहाँ तुम पहली बार मिले थे मैं जानता हूँ जहाँ तुम मिले थे वहां होंगे तुम्हारे कदमों के निशान मैं वहाँ जाता हूँ यह देखने के लिए कि तुम होंगे , कदमों के निशानों के आसपास अफ़सोस तुम नहीं मिलते निराश वापस आ जाता हूँ छोड़ आता हूँ तुम्हारे निशानों के साथ अपने कदमों के निशान इस आस में कि  शायद कभी वापस आओ तो जान पाओ कि मैं वहाँ आया था।