गुरुवार, 6 जून 2013

बरसना

मेघों ने चाहा था
धरती पर बरसना
पर
पानी बन कर
बह गए।

2
बचपन में
जब मैं गिरता था
माँ की आँखों में
करुणा बरसती थी
जबसे /बड़े होकर /मैंने
गिरना शुरू किया है
माँ की आँखों से
आंसुओं की गंगा बहती है।

3
ज़रूरी नहीं कि झुंड में
भेड़िये ही मिले
झुंड में लुटेरे भी चलते  हैं ।
लूट एक जशन  है
नेताओं का टशन है
खरीदारों की बस्ती में
बाज़ार ए हुस्न है।

4


 

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...