शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

निराशा से आशा की ओर ले जाता है मोदी सन्देश


मैं अपने ढेरों मित्रों की तरह अति विद्वान नहीं. बहुत मामूली बुद्धि वाला हूँ. लेकिन प्रधान मंत्री के आज के सन्देश से मैंने यह अर्थ निकाला है कि उन्होंने लॉक डाउन की वजह से १० दिनों से घरों में बंद, अपने ईष्ट-मित्रों से न मिल पाने के लिए मज़बूर, करोड़ों लोगों के एकाकीपन को महसूस करते हुए; उन गरीबों को, जो दुर्भाग्य के अँधेरे में डूबे हुए है, संबल देने के लिए अन्धकार में दिया जलाने का सन्देश दिया है. यानि अगर आपके आसपास के घरों की बालकनी में ऐसा कोई दृश्य नज़र आएगा तो आप महसूस कर सकेंगे कि हम अकेले नहीं. आसपास कुछ दूसरे लोग भी हैं. जैसा प्रधान मंत्री के २१ मार्च के संबोधन के बाद महसूस किया गया था .इससे स्वाभाविक अकेलापन दूर होगा. कोरोना वायरस की बीमारी के भय से दो चार हो रहा देश इस सन्देश से आशा की किरण देख सकता है. देश एक है का सन्देश भी है इसमे.

बेशक आपको ऐसा नहीं लग रहा होगा. मैंने कहा न, आप अतिरिक्त जीनियस हैं. मैं कम बुद्धि हूँ. मैंने जो समझा उसे लिखा. आपको बताने के लिए नहीं. आप तो काफी खेले खाए और समझे है. मैंने यह अपने जैसे कम बुद्धि मित्रों के लिये लिखा है. इसलिए हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि आप मेरी बात से बिलकुल सहमत मत होइए (GO TO HELL नहीं कहना चाहूंगा) बेशक अन्धकार में डूबे रहिए, पर मुझे डुबोने की कोशिश मत करियेगा. मैं हर मुश्किल और खराब वक़्त के बीच आगे दूर आता अच्छा वक़्त देखता हूँ. आपको आपकी नकारात्मकता मुबारक. आप डूबे रहें अँधेरे में.

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुनव्वर राणा पर पड़े जूते २०, जब कहा कोरोना मुसलमान हुआ जाता है

मुनव्वर राणा ट्विटर एक शेर के ज़रिये अपनी ज़हालियत का प्रदर्शन किया . शेर था-
जो भी ये सुनता है हैरान हुआ जाता है,
अब कोरोना भी मुसलमान हुआ जाता है।
जवाब में मुनव्वर राणा को बेभाव में इतने शेर पड़े -
१- जब भी मुश्किल में मेरा देश कभी आता है,
ये मुनव्वरभी मुसलमानही हो जाता है।
२ - तबलीगी मुसलमान सच्चा मुसलमान कहाता है,
क़ुरान भी फैलाता है और कोरोना भी फैलाता है।

३- #तबलीगी_जमात के बारे में जो भी ये सुनता है, हैरान हुआ जाता है...
कोरोना से मिलकर और भी ज्यादा खतरनाक, अब मुसलमान हुआ जाता है
४-  मैंने जब ये सुना तो हैरान ना हुआ
चिंता तो हुई थोड़ी पर परेशान ना हुआ
दिमाग मे जेहाद भरा होना जिनकी निशानी है
मासूमों का कत्ल करना जिनकी कहानी है
जब मजहब के चलते कोई शैतान हुआ जाता है
तब कोरोना भी मुसलमान हुआ जाता है

५- अगर चिढ़ते हैं तो चिढ़ने दो, मेहमान थोड़ी है
ये सब हैं जाहिल, अब्दुल कलाम थोड़ी है
फैलेगा कोरोना तो आएंगे घर कई ज़द्द में
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ देश उनका भी है लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है

६- लोग घरों में बंद हैं और वो जमात लगाए बैठे हैं,
अब जो बेपर्दा हुए तो मजहब बीच में घुसाए बैठे हैं !

७- जहां इबादत में हाथ उठने थे, वहाँ पत्थर उठाए बैठे हैं,
जिन का अहसान मान लेना था उन्हें ग़ाली सुनाए बैठे हैं,
इंसानियत की चिंता होती तो यूँ मजमा ना लगाते,
अब जो बेपर्दा हुए तो मजहब बीच में घुसाए बैठे हैं !!
८- जो भी ये सुनता है हैरान हुआ जाता है
बम बंदूक छोड़ थूक से जिहाद किया जाता है
९-  जो भी ये सुनता है, हैरान हुआ जाता है
अब मुन्नवर राणा भी शीफ्र #मुसलमान हुआ जाता है।
१०- कोरोना की वजह से देश खतरे में न आये ये सोच कर देशभक्त सूखते जा रहे हैं,
कुछ टोपी वाले कोरोना के संदिग्ध क्या हुए, सड़क पर थूकते जा रहे हैं। 
११- जो  भी ये सूनता है, हैरत नही होती है
मस्जिद मौत बांटती, अजां नही होती है !!
१२- मरना है तो जल्दी मर 'मुनव्वर'
यूँ शोर मचा कर ,मोहल्ले की नींद हराम न कर।
१३- जो भी आपको सुनता है वो हैरान हुआ रहा है,
मुनव्वर राना अब तो इंसान कम और जिहादी ज्यादा नजर आ रहा है

१४- जो भी सुनता है हैरान हुआ जाता है,
लॉकडाउन होने के बाद भी कोरोना दरगाह में पाया जाता है..!
१५- जो भी सुनता है हैरान हुआ जाता है
डॉक्टरों पर थूककर शैतान हुआ जाता है।
१६- हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है।
कानून लागू है, खुदसर नहीं करते
तुम्हारे बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।
१७- अपनी शायरी से ना हमे बहलाओ
जाके अपने मौलानाओं को समझाओ
१८- कितना पाक तेरा मजहब है गालिब,
जो जान बचाए तेरी उसी पे थूकना सिखाता है ?
ओ तेरा खुदा फिर तुझसे जुदा क्या होगा ?
जो गैरों कत्ल करने को वजा फरमाता है ।।
१९- एक वायरस की जद में इंसान मौत का खिलौना हो गया
जिहाद की ऐसी लत के मुसलमान ख़ुद कोरोना हो गया.

२०- अंदर का ज़हर चूम लिया , धुल के आ गए |
कितने शरीफ़ लोग थे , सब खुल के आ गए ||

शनिवार, 28 मार्च 2020

कोरोना वायरस के बहाने भूखों की अपने प्रदेश वापसी ?

कभी आप मुंबई, दिल्ली या अहमदाबाद में किसी अपने प्रदेश के व्यक्ति से बात कीजिये. वह आपको अपने संघर्ष के दिनों की याद दिलाएगा कि कैसे उसने संघर्ष किया. भूख झेली. इसके बाद यह मुकाम पाया. उसकी यह तकरीर आपको एक नामाकूल व्यक्ति साबित कर देगी, जो बिना संघर्ष किये कुछ बनना चाहता है, पाना चाहता है. लेकिन, उस समय तकरीर करता व्यक्ति यह भूल जाता है कि ऐसा कहते समय वह यह भी बता रहा था कि वह अपने प्रदेश में भूखा मर रहा था, कोई काम नहीं था. या फिर वह अपनी निजी आकांक्षाओं यथा एक्टर, फिल्म राइटर, डायरेक्टर बनने की, पूरी करने के लिये यह संघर्ष कर रहा था. इसमे समाज या देश सेवा की कोई भवना नहीं थी. खालिस निजी स्वार्थ। यह व्यक्ति जब सफल हो जाता है, उसमे वह सब बुराइयां आ जाती है, जो बॉलीवुड में है. काला पैसा, ज्यादा पैदा लेकर कम आय दिखाना, कर बचाने के लिए फर्जी बिलिंग करना, आदि आदि.
ऐसे ही कुछ कथित संघर्षशील लोग,पिछले दो-तीन दिनों से वापस हो रहे हैं अपने प्रदेश कि वह मुंबई, दिल्ली या अहमदाबाद रह कर भूखें मारें क्या ? सरकार को कोस रहे हैं कि वह कुछ नहीं कर रही उनके लिए. चैनल इसका ढिंढोरा पीट रहे हैं.
मैं ऐसे लोगों से यह पूछना चाहूंगा कि तुम अपना प्रदेश छोड़ कर इन राज्यों में क्यों गए, अगर तुम भूखे नहीं मर रहे थे ? बड़े शहर की चकाचौंध का मज़ा लेने न ! अगर नहीं तो भूखा मरने के लिए वापस क्यों जा रहे हो ? वही रहते. इन सरकारों को आइना दिखाते कि ऐ सरकारों तुम निकम्मी हो ! हमारे लिए कुछ नहीं कर रही. लेकिंन, तुम बिलखते हुए वापस आ रहे हो. बहाना भूखों मरने का है. हो सकता है इसी बहाने फसल भी कट जाए.

मंगलवार, 17 मार्च 2020

क्या माँ बाप गलत अपेक्षाएं रखते हैं बच्चों से ?

इक्का दुक्का अपवाद हो सकते हैं. लेकिन, ज्यादातर माँ-पिता बच्चों से गलत अपेक्षाएं नहीं रखते. यहाँ तक कि उनकी अपेक्षाएं भी गलत नहीं होती, जिन्हें हम गलत समझते हैं.
मुझे ऐसा लग रहा है कि आप उन अपेक्षाओं को गलत बता रहे हैं, जिन्हें बच्चे गलत समझते हैं. इसमे कोई शक नहीं कि नई पीढ़ी का एक्स्पोजर ज्यादा है. लेकिन, अनुभव के सामने यह कहीं नहीं टिकती. अच्छा-बुरा की समझ समय करता है, अनुभवों से यह समझ आती है.
एक उदाहरण देना चाहूंगा. इधर लिव-इन रिलेशनशिप का चलन हो गया है. कोर्ट ने इसे मान्यता भी दे दी है. बिना शादी के एक साथ रहना पश्चिम से प्रभावित अपने आप में नया कांसेप्ट है. इसमे थ्रिल भी काफी है. एक लड़की के साथ अकेले रात दिन रहना और सब कुछ करना. लेकिन, क्या इससे यह पता चल जाता है कि लिव-इन का अनुभव कर चुके लड़का लड़की अब अच्छे पति-पत्नी बन सकते हैं. शायद शतप्रतिशत नहीं. ऐसे काफी मामले प्रकाश में आये है, जिनमे लड़की ने शादी करने का झांसा देकर बलात्कार करने का आरोप लगा दिया. सबसे बड़ी बात तो यह है कि कुछ महीने थ्रिल के नशे में गुजारने के बाद यह कैसा पता चल जाता है कि नशा सही चढ़ा है! जब यह नशा उतरता है तो शादी उसी तलाक के ढर्रे पर आ जाती है.
एक बात और. इस समय भी ज्यादा शादियाँ माता-पिता द्वारा तय की हुई ही हो रही हैं. क्या यह असफल हो रही हैं? नहीं ! तब फिर लिव-इन के थ्रिल का क्या मतलब.
आजकल एक्स्पोजर का नतीजा है कि युवा लडके लड़कियाँ विदेश में नौकरी करना पसंद करने लगे हैं. उन्हें लगता है कि इस प्रकार से वह विदेश में नौकरी करने का कारण ज्यादा सम्मानित हो जाते है. उन्हें अच्छी नौकरी और तनख्वाह भी मिल रही है. लेकिन, aआधुनिक युग की अर्थव्यवस्था कई कारणों पर टिकी हुई है. अब देखी न कोरोना वायरस ने भी अमेरिका की शक्तिशाली अर्थव्यवस्था की चूलें हिला दी है. वहाँ मंदी का ख़तरा मंडरा रहा है. सोचिये, ज्यादा कमाने और अच्छी नौकरी के लालच में विदेश गया बच्चा, आर्थिक मंदी के दौरान बिलकुल अकेला हो जाता है. उसे रोने के लिए माँ-पिता का कंधा तक नहीं मिलता

बुधवार, 4 मार्च 2020

मुसलमानों को सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भड़काने में बुरे फंसे हर्ष मंधेर

एक हैं हर्ष मंधेर ! उन्हें जानने के लिए इतना बताना काफी होगा कि फेसबुक/ट्विटर पर आपको कुछ साम्यवादी सोच वाले, पेंट के अन्दर लंगोट पहनने के बावजूद खुद को नंगा दिखाने वाले, पढ़े लिखे आग उगलने वाले ड्रैगन जैसे ढेरों फेसबूकियों/ट्विटरातियो की तरह ही है हर्ष मंदर. विदेशी NGO से इन लोगों को भारी-भरकम मदद मिलती रहती है. कांग्रेस मुख्यालय पर तो इनके लिए खजाना खुला रहता है. उन्होंने एक एंटी CAA रैली में मुसलमानों को भड़काने के लिये धुंआधार भाषण करते हुए ऐलान कर दिया कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास नहीं है. लेकिन हमें जाना इनके पास ही होगा. ऐसे न जाने कितनी तकरीरे की हैं इन महाशय ने.

यह महाशय अभी एक अपील लेकर सुको पहुँच गए कि बीजेपी वाले दिल्ली में दंगा करवा रहे हैं. इसके नेताओं के खिलाफ कार्यावाही के लिए पुलिस पुलिस को निर्देशित करें. इसे देखते हुए कुछ लोगों ने हर्ष मंधेर की इसी स्पीच का टेप लगाते हुए, उनके खिलाफ सुको की अवमानना की कार्यवाही के लिए रिट दाखिल कर दी. यह सुन कर सुको के तेवर चढ़ गए. CJI ने कहा कि पहले यह तय हो जाए कि आपको सुको पर विश्वास क्यों नहीं है. इस पर मंधेर के वकील ने कहा कि मंधेर के खिलाफ सुनवाई टाल दी जाए. क्योंकि वह इस समय अमेरिका जाने के लिए प्लेन पर सवार है. इस पर कोर्ट ने व्यंग्यात्मक टिपण्णी की- ओह तो वह इस समय छुट्टियों का मजा लेना चाहते हैं.

इतना कह कर कोर्ट ने हर्ष मंधेर के खिलाफ सुनवाई के लिए शुक्रवार का दिन तय कर दिया.

मंगलवार, 3 मार्च 2020

क्या ठीक होगा कि हाईकोर्ट का कोई जस्टिस १४ साल तक अपनी कुर्सी पर जमे रहे ?


जस्टिस मुरलीधर, दिल्ली हाईकोर्ट में पिछले १४ सालों से जमे हुए थे. अमूमन एक सरकारी नौकर को किसी एक जगह पर ५ साल से ज्यादा नहीं रखा जाता. आईएएस/आईपीएस अधिकारियों को भी इस प्रकार के स्थानान्तरणों को झेलना पड़ता है. ऐसे में जस्टिस मुरलीधर में ऎसी क्या खासियत थी कि उन्हें १४ सालों तक दिल्ली हाईकोर्ट में ही बनाए रखा गया, जबकि दूसरे उच्च न्यायालय भी देश में हैं ? यह जांच का विषय बनता है कि जस्टिस के ट्रान्सफर पर दिल्ली के वकील क्यों आंदोलित थे? जैसा कि माहौल बनाया जा रहा है कि उन्हें दिल्ली रायट के मामले में उनके निर्णय पर ट्रान्सफर किया गया, यह जांच का विषय है कि किस व्यक्ति या संस्था को जस्टिस के दिल्ली में भी बने रहने में दिलचस्पी थी. खुद cji को इसकी जांच करानी चाहिए ताकि न्यायालय की गरिमा को इस प्रकार के किसी ट्रान्सफर से आगे आंच न आये.

रविवार, 1 मार्च 2020

अंडर ट्रान्सफर जस्टिस मुरलीधरन का अंडर ट्रायल जस्टिस



जस्टिस मुरलीधरन अंडर ट्रांसफ़र थे। उन्होंने क्यों इतने महत्वपूर्ण मामले को सुना। उन्होंने इतना ही नहीं किया, पुलिस व्यवस्था को हतोत्साहित करने की कोशिश भी की । आप कैसे अदालत मे वीडियो चला कर आरोप लगा सकते हो और फैसला सुना सकते हैं? आरोप लगाना जजों का काम नही है। अच्छा होता कि आप अदालत में सिनेमाघर लगाने के बजाय पुलिस कमिश्नर से कहते कि निष्पक्ष जॉंच की जाये। मान लेते हैं कि आप दिल्ली की हिंसा से बहुत आहत थे तो आपने यह क्यों नही कहा कि सुको को दो महीना पहले शाहीनबाग पर निर्णय सुना देना चाहिये था? क्यों नही कहा कि सुप्रीम कोर्ट सीएए की वैधानिकता पर तुरंत निर्णय लेने में असफल रहा? क्यों नही कहा कि कॉंग्रेस की नेता सोनिया गॉंधी ने मुसलमानों को सड़क पर उतर कर हिंसा करने के लिये उकसाया? क्यों नही कहा कि राहुल गॉंधी और प्रियंकावाड्रा भी समान रूप से दोषी है? क्यों नही इनकी स्पीच के वीडियो चलवाये? क्यों नहीं कहा कि सलमान ख़ुर्शीद और मणिशंकर अय्यर के जामिया और शाहीनबाग के भाषण मुसलमानों को उकसाने के लिये थे, जिनमें प्रधान मंत्री को गालियाँ दी गयी? क्यों नही कहा कि अकबरुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान के भाषण मुसलमानों को दंगा करने के लिये उकसाने के लिये काफी थे? क्यों नहीं कह कि आम आदमी पार्टी के विधायक और पार्षद दंगा कराने के लिये एसिड की बोतलें और बम-पत्थर इकट्ठा कर रहे थे? क्यों नही कहा कि जाफराबाद में मुस्लिम औरतों के सड़क बन्द कर देने के कारण दिल्ली की जनता के सब्र का बाँध टूट गया? सवाल बहुत ले हैं मी लार्ड! अदालत में बैठ कर प्रवचन देने से बाज़ आईये। आप क्यों कार में बैठे होने के बावजूद, बिना गनर के उतरते तक नहीं?

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...