बुधवार, 28 सितंबर 2011

मेरे चार वचन



मेरे चाहने वाले मेरी राहों पर कांटे बिखेरते  है
मैं बटोरते चलता हूँ कि कहीं उन्हे चुभे नहीं।
२.
अगर लंबाई पैमाना है तो लकीर सबसे लंबी है,
आदमी जितनी चाहे लंबी लकीर खींच सकता है।

३.
मुझे बौना समझ कर हंसों नहीं ऐ दोस्त,
मैं वामन बन कर तीनों लोक नाप सकता हूँ।

४.
उन्होने पिलाने का ठेका नहीं लिया है,
तभी तो लोग पीने को ठेके पर जाते हैं।
 

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

मेरा अंदाज़


        मेरा अंदाज़
मेरी चाहत से कुछ नहीं होता,
तुम्हारे चाहने वाले बहुत से हैं।
तुम्हें वफाओं से फर्क नहीं पड़ता,
पर दुनिया में बेवफा बहुत से हैं।
तुम लाख न मानो, मानना पड़ेगा,
मेरे जैसे लोग कहाँ बहुत से हैं।
बेशक मेरे पास वह अंदाज़ नहीं,
पर बेअंदाज राजा यहाँ बहुत से हैं

हाइकु


हँसता सूर्य
राक्षस से पहाड़
हिम्मत मेरी  

२-
नदी की धार
गोरी की कमरिया
मुग्ध देखूं मैं.
३-
बहती हवा
ममता का आँचल
मेरा सुकून

४-
चुभती धूप
भीष्म की शर शैया
मैं हूँ बेचैन

५-
आ गयी रात
रो रहे हैं कुत्ते
बच्चे सो गए.

6-
शीत लहरी
पत्ते पीले हो गए
बुड्ढा मरेगा.

7-  
सूना आकाश
उड़ते चील कौव्वे
मेरी तमन्ना  

८-
काले बादल
विधवा रो रही है  
जल ही जल

९-  
प्रिय  न आये
शाम बीत रही है
आँखों में रात

१०-
रात आ गयी
जुगनू उड़ रहे
दिखती राह
१३.
दुल्हन आई  
आँगन में बौछार
बौराया मन .  

१४.
बौर आ गयी
बारात आ रही है
खुशी की बात .

सोमवार, 26 सितंबर 2011

समानता


                                       समानता
गरीब बच्चे को
अमीर बच्चे की
आधुनिक माँ में
अपनी माँ नज़र आती हैं.
क्यूंकि
उसकी माँ की तरह
अमीर बच्चे की आधुनिक माँ भी
अधनंगी नज़र आती है.

रविवार, 25 सितंबर 2011

बाबा दुल्हन और वह


पतझड़ में
याद आते हैं 
सूखे खड़खडाते पत्तों की तरह
खांसते बाबा .  

मेरी खिड़की से
झांकता सूरज
जैसे
झिझकती शर्माती दुल्हन.

मैंने उन्हें
पहली बार देखा
छत पर खड़े हुए
दूर कुछ देखते हुए
ढलते सूरज की रोशनी में
उनके भूरे बाल
गोरे चेहरे पर
सोना सा बिखेर रहे थे
मैं ललचाई आँखों से
सोना बटोरता रहा
तभी उनकी नज़र
मुझ पर पड़ी
आँखों में शर्म कौंधी
वह ओट में हो गए
इसके साथ ही बिखर गया
सांझ में सोना.


शनिवार, 24 सितंबर 2011

छह बीज


सुना है मेरे पड़ोस में
आंधी बड़ी आई थी.
धुल से अटे पड़े हैं,
मेरे घर के कमरे भी.

         -२-
संध्या
और श्याम का साथ
दोनों अँधेरे में
डूबते हैं साथ.

        -३-
अलसाई हसीना,
सुबह की अंगडाई
दोनों करेंगी तय
गली और फूटपाथ में
दिन भर का सफ़र .

        -४-
मैं
तपते सूरज के नीचे
कंक्रीट के जंगल में
डामर की सड़क के साथ
होता हूँ पसीना पसीना.

         -५-
जब
पीछे चलती परछाई
आगे  आकर
चलने लगती है,
मैं घबराकर
मुड़ कर देखता हूँ
शाम पीछे खडी है.

         -६-
रात की तरह
काली रंगत वाली माँ
पर दोनों ही
थपक कर सुलाती हैं-
ना!  

बुधवार, 21 सितंबर 2011

दोषी चाकू



एक वीराने स्थल पर
एक इंसान का
मृत शरीर पाया गया
उस मृत शरीर को देख कर
पहला प्रश्न यही था-
उसे किसने मारा-
पशु ने या किसी इंसान ने?
मृत शरीर पर
नाखूनों की खरोंच के,
दांतों से चीर फाड़ के कोई निशान नहीं थे
इसलिए यह तय हो गया कि
उसे किसी पशु ने नहीं मारा.
पास में रक्त से भीगा
एक बड़ा चाकू पड़ा हुआ था.
इसलिए
यह तय पाया गया कि
चाकू से
उस इंसान का क़त्ल 
किसी इंसान ने ही किया है.
पर कोई साक्ष्य नहीं था
कि उसे किसने मारा
उस दिन उस क्षेत्र में
दो सम्प्रदायों के बीच
धार्मिक उन्माद पैदा हुआ था
इसलिए वह इंसान 
धर्म युद्ध में मारा गया  माना गया 
मौक़ा ए वारदात पर मौजूद चाकू को
पहला कातिल माना गया.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...