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हाइकु


हँसता सूर्य
राक्षस से पहाड़
हिम्मत मेरी  

२-
नदी की धार
गोरी की कमरिया
मुग्ध देखूं मैं.
३-
बहती हवा
ममता का आँचल
मेरा सुकून

४-
चुभती धूप
भीष्म की शर शैया
मैं हूँ बेचैन

५-
आ गयी रात
रो रहे हैं कुत्ते
बच्चे सो गए.

6-
शीत लहरी
पत्ते पीले हो गए
बुड्ढा मरेगा.

7-  
सूना आकाश
उड़ते चील कौव्वे
मेरी तमन्ना  

८-
काले बादल
विधवा रो रही है  
जल ही जल

९-  
प्रिय  न आये
शाम बीत रही है
आँखों में रात

१०-
रात आ गयी
जुगनू उड़ रहे
दिखती राह
१३.
दुल्हन आई  
आँगन में बौछार
बौराया मन .  

१४.
बौर आ गयी
बारात आ रही है
खुशी की बात .

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तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...