सुना है मेरे पड़ोस में
आंधी बड़ी आई थी.
धुल से अटे पड़े हैं,
मेरे घर के कमरे भी.
-२-
संध्या
और श्याम का साथ
दोनों अँधेरे में
डूबते हैं साथ.
-३-
अलसाई हसीना,
सुबह की अंगडाई
दोनों करेंगी तय
गली और फूटपाथ में
दिन भर का सफ़र .
-४-
मैं
तपते सूरज के नीचे
कंक्रीट के जंगल में
डामर की सड़क के साथ
होता हूँ पसीना पसीना.
-५-
जब
पीछे चलती परछाई
आगे आकर
चलने लगती है,
मैं घबराकर
मुड़ कर देखता हूँ
शाम पीछे खडी है.
-६-
रात की तरह
काली रंगत वाली माँ
पर दोनों ही
थपक कर सुलाती हैं-
ना!
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