शनिवार, 1 मार्च 2025

प्रकृति के हाइकु

 प्रातः काल मे 

सुगंधित पवन 

सब जागते। 

पशु पक्षी मैं 

प्रकृति की छांव 

सब प्रसन्न ।

मार्ग मे ओस 

पथिक चल रहा 

थकान कहाँ। 

सूर्य उनींदे 

पक्षी जाग रहे है 

प्रातः हो रही ।

चंद्रमा अस्त 

सूर्योदय की बेला 

कुछ क्षण मे ।



गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न 

तब गाता हूँ 

रोता नहीं 

पड़ोसी बोलते हैं- 

गा रहा है 

मस्ती में है 

तनाव उनको होता है 

मुझे तनाव नहीं होता। 

पाती नहीं आती !

अब चिट्ठी नहीं आती 

किसी स्व-जन की कुशल पाती नहीं आती 

उन की कठिनाइयों, अभाव से अवगत नहीं हो पाता 

अब मेल आती है 

जिनसे मेल नहीं उनकी!

फोन आते हैं 

जिन्हें कभी देखा नहीं 

स्वर से सूरत का मिलान नहीं हो पाता 

अपरिचित स्वर सुनाई देते है 

जिसमें विनम्रता होती है, अपनत्व नहीं 

अब अपने कहाँ 

हमने तो इन्हें अतीत मे भेज दिया 

अब उनकी भी मेल ही आती है 

पाती नहीं आती ।

गुरुवार, 30 जनवरी 2025

मेरे विचार!

मैं चुप रहा 

क्या मैं डर गया 

चुप्पी का डर। 



2-

सब चल रहे थे 

मैं भी चला 

चलता चला गया  

पता नहीं कहाँ निकल आया 

वापसी कैसे करूँ   !



3-

किसी ने कहा था 

कुछ ने सुना था 

सभी सुनने वालों ने 

निकाले मतलब 

अपने मतलब के ।


4- 

समझ लो 

कोई नहीं बोल रहा 

कोई बोलेगा भी नहीं 

क्या सब गूंगे है ? 

नहीं 

सब बहरे हैं ।


5- 

अरे वाह ! 

चारो तरफ सन्नाटा है 

कितनी शांति है! 

नहीं, 

कुछ देर पहले बम फटा था ।