गुरुवार, 14 अगस्त 2025

कॉलोनी में स्वतंत्रता दिवस !



कॉलोनी में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडारोहण होने वाला था।  मंच सजा हुआ था। एक डंडे पर डोरी से शीर्ष से कम ऊंचाई पर बंधा हुआ राष्ट्रीय ध्वज, स्वयं के खुलने की प्रतीक्षा कर रहा था। 





कॉलोनी के गणमान्य और कम-मान्य लोग आने लगे थे ।  सामने लगी  कुर्सियों पर  बैठते जा रहे थे।  अपने कार्यालय में सदैव विलम्ब से पहुँचने वाले महानुभाव भी समय से पहले पहुँच जाना चाहते थे। किसी ने  नाश्ता भी नहीं किया था।  यह भुखमरी देश-भक्ति या महंगाई का परिणाम नहीं, बल्कि समारोह के पश्चात् मिलने वाले जलपान के लिए थी।





घर में कौन बनाये! नाश्ते के लिए चंदा दिया है।  उसे खाना है।  घर  से खा कर आएंगे तो पैसे बर्बाद हो जायेंगे। इतना चंदा बेकार जाएगा।




 

चंदे की पूरी वसूली हो जाए, इसलिए घर में बच्चों और पत्नी को निर्देश दे कर आये थे कि समय से पूर्व पहुँच जाये। यह नहीं कि इधर उधर खेलने लगे या  पड़ोसिनों से बकबक करने लगे।  नाश्ता ख़त्म हो जायेगा।





इस निर्देश का पालन हो भी रहा था।  बच्चे मंच के पास ही धमाचौकड़ी मचाये हुए थे।  महिलाएं कॉलोनी की महिलाओं के साथ किटी पार्टी और बढती महंगाई पर बातें कर रही थी।  बहुत महंगाई है।





लोग आते जा रहे थे।  आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की दृष्टि नाश्ते की टेबल पर अवश्य जाती।  देखते कि  जलपान में क्या क्या है !  कुछ तो टेबल पर जा कर निकट दर्शन करते। मेज के  पीछे खड़े व्यक्ति से क्या क्या है की पूछताछ करते। और खुश खुश अंदर आ जाते।





 समारोह स्थल पर वातावरण देश-भक्तिमय था। देशभक्तिपूर्ण फिल्मी गाने सप्तम स्वर में बज रहे थे।  एआर रहमान से लेकर मोहम्मद रफ़ी तक, सभी एक घंटे से अपनी आवाज थका रहे थे। बी प्राक ने तेरी मिटटी में मिल जावां की चीख पुकार मचा रखी थी।  अपनी देश भक्ति का परिचय देने के लिए लोग अपने अपने सर झुमा रहे थे।  वातावरण देशभक्तिमय हो चूका था। 





किन्तु, अभी तक मुख्य  अतिथि नहीं आये थे। लोगों की दृष्टि मुख्य गेट पर।  फिर नाश्ते पर।  उसके बाद मंच पर टिक जाती।  कुछ लोग टिप्पणी कर रहे थे - यह इस दिन हमेशा देर से आते हैं।  एक दिन भी समय का ध्यान नहीं रखते।  नाश्ता ठंडा हो रहा है। यद्यपि हो नहीं रहा था। बर्तन के नीचे हलकी आंच जल रही थी। किन्तु नाश्ता गटकने की जल्दी उन्हें बेचैन किये हुई थी। 





तभी सुगबुगाहट हुई।  लो जी मुख्य अतिथि की गाडी गेट अंदर आ रही है।





अब वह उतर रहे है। मोहल्ले के कुछ उनसे कम गणमान्य व्यक्ति अपने से एक डंडा अधिक गणमान्य मुख्य अतिथि महोदय का स्वागत कर रहे थे। थोड़ी देर जलपान के मोह को परे रखते हुए, उन्हें घेर का चला गया। मंच तक लाया गया। इसलिए नहीं कि वह सादर लाये जा रहे थे, बल्कि इस लिए कि बीच में रुक कर कहीं  किसी से बातचीत न करने लगे।  नाश्ते को देर हो जाएगी। 





मुख्य अतिथि मंच पर पहुंचे।  लोगों ने खड़े हो कर उनका जोरदार स्वागत किया।  कुछ ने तालियां भी बजाई।  मुख्य अतिथि प्रसन्न भये।  अपने मोटे होंठो को कान तक खीच कर मुस्कान बिखेरी। 





सब बैठ गए। किन्तु, आगे वालों ने यह ध्यान रखा कि पहले मुख्य अतिथि बैठ जाए। जबकि पीछे बैठे लोग, पहले ही बैठ चुके थे। मुख्य अतिथि ने कहा - बैठ जाएँ। बैठ जाए। यद्यपि  उस समय तक पीछे से लेकर आगे तक लोग अपनी तशरीफ़ कुर्सियों पर रख चुके थे।





मंच संचालक ने  उद्घोष किया- अब स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम का  प्रारम्भ होता है। जोर से बोलिये- भारत माता की जय।  सभी ने, भारत माँ की जय का घोष किया।  पता नहीं उन्होंने किया या नहीं, जो किसी को माँ नहीं मानते।




 

मुख्य अतिथि उठे।  कुछ दूसरे उनसे दो डंडा कम गणमान्य भी उन्हें घेर कर खड़े हो गए।   मुख्य अतिथि ने डोरी खीची।  थोड़ी मेहनत के बाद ध्वज  खुल गया। ध्वज को डोरी से खींच कर शीर्ष पर पहुंचा कर डोरी बाँध दी गई। तालियां बजी। 





जनगणमन  गाया गया।  सब ने गाया।  जिन्हे आता था उन्होने तीव्र स्वर में गाया।  जो नहीं जानते थे. उन्होंने केवल  होंठ हिला कर पार्श्व गायन का लाभ उठाया। राष्ट्र गान समाप्त हुआ। लोगों ने राहत की सांस ली।  भारत माता की जय का फिर घोष हुआ।





सब बैठ गए। किन्तु, मुख्य अतिथि खड़े रहे।  वह चलते हुए मंच पर सजे डायस के माइक्रोफोन पर खड़े हो गए।  पहले ही टेस्ट किए जा चुके माइक को उंगली  से ठकठका कर चेक किया।  आवाज आ रही थी। मुंह माइक के चुम्बन की मुद्रा में ले गए। 





 

मुख्य अतिथि हेलो जेंटलमेन एंड वीमेन कह कर शुरू हो गए।  उनका अंग्रेजों से आजादी के अवसर पर दिया गया भाषण अंग्रेजो द्वारा छोड़ी गई आंग्ल भाषा में था। उन्होंने देश पर संभावित खतरे से लोगों को आगाह किया। स्विट्ज़रलैंड से आई शर्ट पैंट पहने अतिथि ने स्वदेशी के गुण गाये।  लोग  ऊबने लगे थे। नाश्ता..नाश्ता  का शोर शुरू होने लगा।





तभी बारिश प्रारम्भ हो गई। देश को संभावित संकट से सचेत करने वाले मुख्य अतिथि, शायद  बारिश से सचेत नहीं थे।  वह भीगने लगे।  उन्होने झट से भाषण कट शार्ट किया।  जयहिंद बोला। 






तब तक देश की स्वत्नत्रता के लिए मर मिटने का गीत सुन कर झूमने वाले लोग बारिश घबरा कर शेड  ढूंढने लगे।  नाश्ता बड़े शेड के नीचे ही लगाया गया था ।  लोग वहां पहुँच गए। बारिश से बचने से अधिक जलपान चरने के लिए।





स्वतंत्रता दिवस समारोह  बारिश की भेंट चढ़ चुका था। 

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