१ जुलाई १९५३। भिन्न व्यक्तियों के लिए भिन्न सन्दर्भ। किसी के लिए यह मात्र एक तिथि माह या सन। संभव है कि कई लोग इस तिथि की महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर दृष्टिपात करना चाहें। करते भी है।
किन्तु मेरे लिए
यह महत्वपूर्ण है। इस लिए कि सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इस तिथि को मेरा
जन्म हुआ था। इसी तिथि के अनुसार मुझे
सेवा निवृत होना था। ३० जून २०१३ को। क्या मैं सेवानिवृत हुआ? यह
किसी और समय पर हल करने वाला प्रश्न है।
मैं, सरकारी सेवा पुस्तिका का अनुसार, १ जुलाई १९५३ को जन्मा था। यद्यपि, यह पूर्ण सत्य नहीं था। कारण यह कि हम लोगों के समय में घर आकर पढ़ाने वाले मास्टर ही विद्यालय में प्रवेश दिलाते थे। उन्होंने ही, ७ जुलाई को स्कूल खुलने की तिथि के आधार पर ही मेरी जन्मतिथि १ जुलाई १९५३ लिखवा दी थी। कहते हैं की कि उस समय बच्चों के स्कूल में भर्ती होने की आयु ५ या छह साल से कम नहीं होनी चाहिए थी। इसलिए १ जुलाई १९५३ मेरी जन्मतिथि मान ली गई। किसी जन्मकुंडली की आवश्यकता नहीं पड़ी।
इस जन्मतिथि की यात्रा, स्कूल की टीसी से निकल कर, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और फिर प्रतियोगिता परीक्षा
से होती हुई, सरकारी सेवा
अभिलेखों में पसर गई। मैं प्रत्येक १
जुलाई को इसी तिथि पर बड़ा होता चला गया। और एक दिन सेवानिवृत भी होना था। अर्थात ३० जून १९१३ को।
किन्तु,
झोल यहाँ है।
एक दिन मैं पुराने कागज पत्र टटोल रहा था। पुराने कागजों को देखते हुए, मुझे एक कागज के टुकड़े में पिता की लिखाई दिखाई पड़ी। उत्सुकतावश मैंने उसे उठा लिया।
मैंने उसमे लिखा पढ़ा तो मैं चौंक गया। अरे, मेरी जन्मतिथि तो गलत दर्ज हुई है। पिता की लिखाई के अनुसार मेरा जन्म १ जुलाई १९५३ नहीं, १७ जुलाई १९५१ को हुआ था। अर्थात मैं आज ७२ साल का पूरा हो कर ७३वें में नहीं, ७४ साल पूरा हो कर, ७५वे प्रवेश करने में १५ दिन पूर्व की तिथि में था।
मैंने आगे पढ़ा तो मालूम हुआ कि १७ जुलाई १९५१ को
बुद्धवार के दिन मैं जन्मा था। मैंने इसका फैक्ट चेक किया। इसके अनुसार, १७ जुलाई १९५१ को, बुद्धवार नहीं, मंगलवार था। अर्थात पिताजी गलत थे। उन्होंने १७ जुलाई १९५१ को दिन बुद्धवार होना
बताया था। १७ जुलाई १९५१ की तिथि याद रखने
वाले पिता जी दिन के लिखने में असफल साबित हो रहे थे।
अब मैंने अपनी सरकारी जन्मतिथि १ जुलाई १९५३ के दिन का फैक्टचेक किया। इस तारीख़ को बुद्धवार था। मैंने सोचा। सोचा क्या तय ही कर लिया कि पिताजी ने तिथि १७ और सन गलत लिखा। जुलाई उनको ठीक याद रहा। किन्तु, दिन भी गलत लिख गए।
पिताजी ने तीन तीन गलतियां की थी। तिथि सन और दिन की। जबकि, मेरी सरकारी अभिलेखों में लिखी १ जुलाई १९५३ की तिथि
मंगलवार होने के कारण सही थी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें