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संदेश

चाचा नेहरु

आटे का दूध पीता  चावल का माड़ गटकता  बासी रोटी को ताज़ी के अंदाज़ में चबाता  कोई न कोई बच्चा आज यह ज़रूर पूछेगा- माँ, हमारे चाचा क्या करते थे ! तब माँ कहेगी- बेटा, वह देश चलाते थे दुनिया को शांति का सन्देश देते थे उन्होंने ही दुनिया को शीत युद्ध से बचाया गुट निरपेक्षता का सन्देश दिया वह लालों के लाल थे जवाहर लाल थे . तब क्या बेटा यह न पूछेगा कि माँ...मेरी प्यारी माँ चाचा देश चलाते थे, पिता जी रिक्शा क्यों चलाते हैं उन्होंने दुनिया को शांति का सन्देश दिया हमें रोटी क्यों नहीं दे सके दुनिया को गुट निरपेक्षता की अहमियत बताने वाले चाचा देश में गरीब और गरीबी की अहमियत क्यों नहीं समझे उन्होंने दुनिया को शीत युद्ध से बचाया हमें शीत से युद्ध करने के लिए क्यों छोड़ दिया वह लालों के लाल जवाहर लाल थे तो पिता कंगाल क्यों थे क्या कहेगी माँ !

पत्थर

रास्ते में पडा एक पत्थर रूकावट और ठोकर या पूजा गढ़ कर ईश्वर २- पत्थर खुद नहीं लगता उठ कर ज़मीन से एकाधिक हाथ उसे फेंकते हैं सामने यह भूलते हुए कि, पत्थर वापस आ सकते हैं. ३- ईश्वर हो सकता है पत्थर और पत्थर हो सकता है ईश्वर तब क्यों खाता है पत्थर ठोकर. ४- पाँव मनुष्य के मारते हैं  ठोकर हाथ मनुष्य के उठाते हैं पत्थर और बना देते हैं भगवान् इतना अंतर क्यों है? एक ही मनुष्य के पैर और हाथ में. ५- नदी ने पत्थर को इधर उधर लुढ़काया लेनी चाही परीक्षा उसकी सहनशक्ति की सहनशील पत्थर शिव बन गया आज चढ़ाया जा रहा है जल उसी नदी का.

प्रकृति और मनुष्य

मैं कितना गहरा हूँ नापने चले वह थाह पाने के जूनून में डूबते चले गए. २- समुद्र अगर उथला होता किनारों से टकराए बिना सोता रहता ३- हवा ठंडी थी सिहरा गयी मैंने थोड़ी भींच ली मुट्ठी के साथ जेब में. ४- आसन नहीं अँधेरे को रोकना जब खुद उजाला मुंह छिपाए. ५- चन्द्रमा और सूरज दुनिया के चौकीदार बारी बारी जगह लेते सुलाने और जगाने के लिए दुनिया को.

खंडहर

आओ दोस्तों ! सोते हैं इस खंडहर में देखते हैं सपने कि, इमारत कभी बुलंद थी. २- खंडहर विरासत नहीं होते यह प्रतीक होते है कि, हमने फिक्र नहीं की कभी विरासत की . ३- खंडहर कहर नहीं किसी आक्रान्ता के गवाह नहीं किसी अत्याचार के व्यतीत नहीं किसी खुशहाली के यह सन्देश हैं कि, आओ फिर से करें पुनर्निर्माण . गवाह बना कर इस खंडहर को.

बाबाओं को सोना चाहिए

बाबाओं को सोना चाहिए सोयेंगे तो दो बाते होयेंगी बाबा अगर सोयेंगे तो स्वप्न देखेंगे स्वप्न में खजाना देखेंगे खजाने से देश मालामाल हो या न हो सरकार मालामाल होगी सरकार मालामाल होगी तो नेता और ऑफिसर घूस बटोरने के विकास कार्यक्रम चला पायेंगे इस प्रकार वह मालामाल होंगे. लेकिन दोस्तों मुझे नेताओं-अफसरों का खैरख्वाह न समझो मैं खैरख्वाह हूँ इस देश की जनता का जनता की माँ बहनों का बाबा सोयेंगे तो न प्रवचन करेंगे न मौका लगते ही आसाराम बनेंगे.

मेरी माँ तुम्हारी माँ

मेरी माँ बीमार है. बीमार तुम्हारी माँ भी होगी. पर मेरी माँ माँ है मेरी माँ के सामने तुम्हारी माँ की क्या बिसात मेरी माँ ने दिया है मुझे ऐश और शोहरत बैठे ठाले की सत्ता तुम्हारी माँ ने तुम्हे क्या दिया! गरीबी और रुसवाई मुफलिसी और भूख जबकि, मेरी माँ ने तुम्हे भी दिया है सब्सिडी पर फ़ूड.

आंसू

आज अभी निकाल दिया दिल से अपने मुझ को एक पल न सोचा कि अँधेरा हो जायेगा दिल में. २ शांत झील में कंकड़ फेंक कर खुश हो जाते तुम, भूल जाते कि कंकडों को डूबने का दुःख होता है. ३  जो हंसते नहीं उन्हें मुर्दा दिल न समझो, न जाने कितनी रुसवाइयां झेलीं हैं उन ने. ४ कुरेद कुरेद कर दिल के घाव तुम तो नेल पोलिश का बिज़नस कर रहे हो. ५ मेरी ईमानदारी को तराजू पर मत तौलो ज़मीर के बटखरे ही इसे तौल पाएंगे. ६ मेरे आंसुओं को इतना तवज्जो मत देना नज़र-ए-बीमारी का सबब है कि बहती हैं.