गुरुवार, 7 नवंबर 2013

पत्थर

रास्ते में पडा
एक पत्थर
रूकावट और ठोकर
या
पूजा
गढ़ कर ईश्वर
२-
पत्थर
खुद नहीं लगता
उठ कर ज़मीन से
एकाधिक हाथ
उसे फेंकते हैं सामने
यह भूलते हुए कि,
पत्थर
वापस आ सकते हैं.
३-
ईश्वर
हो सकता है
पत्थर
और पत्थर
हो सकता है
ईश्वर
तब
क्यों खाता है
पत्थर
ठोकर.
४-
पाँव
मनुष्य के
मारते हैं  ठोकर
हाथ
मनुष्य के
उठाते हैं
पत्थर
और
बना देते हैं भगवान्
इतना अंतर क्यों है?
एक ही मनुष्य के
पैर और हाथ में.
५-

नदी ने
पत्थर को
इधर उधर लुढ़काया
लेनी चाही परीक्षा
उसकी सहनशक्ति की
सहनशील पत्थर
शिव बन गया
आज
चढ़ाया जा रहा है जल
उसी नदी का.




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