सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

चाचा नेहरु

आटे का दूध पीता 
चावल का माड़ गटकता 
बासी रोटी को
ताज़ी के अंदाज़ में चबाता 

कोई न कोई बच्चा
आज यह ज़रूर पूछेगा-
माँ,
हमारे चाचा क्या करते थे !
तब माँ कहेगी-
बेटा, वह देश चलाते थे
दुनिया को शांति का सन्देश देते थे
उन्होंने ही
दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
गुट निरपेक्षता का सन्देश दिया
वह लालों के लाल थे
जवाहर लाल थे .
तब क्या
बेटा यह न पूछेगा कि
माँ...मेरी प्यारी माँ
चाचा देश चलाते थे,
पिता जी रिक्शा क्यों चलाते हैं
उन्होंने दुनिया को शांति का सन्देश दिया
हमें रोटी क्यों नहीं दे सके
दुनिया को गुट निरपेक्षता की
अहमियत बताने वाले चाचा
देश में गरीब और गरीबी की
अहमियत क्यों नहीं समझे
उन्होंने दुनिया को शीत युद्ध से बचाया
हमें शीत से युद्ध करने के लिए क्यों छोड़ दिया
वह लालों के लाल जवाहर लाल थे
तो पिता कंगाल क्यों थे
क्या कहेगी माँ !









टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...