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बिंदु की रेखा !

रेखा  महंगाई की  लाल रंग की  जबकि  बढती है  सब्जियों से हरी  २  रेखा शेयर बाजार की  कभी ऊपर, कभी नीचे  फिर ऊपर, और फिर नीचे ऐसा प्रतीत होता है जैसे  दंड पेल रहा पहलवान। ३  रेखा  मान और सम्मान की  कोई खींचता नहीं  खीची जाती है  स्वयं से... निरंतर प्रयास कर।  ४  रेखा  लक्ष्मण न खीची थी  माता सीता की रक्षा के लिए लांघा सीता ने ही था  अपहरण हो गया अब कोई नहीं लांघता कोई नहीं खींचता  लक्षमण रेखा  क्योंकि,  अब लक्षमण नहीं ! किन्तु सीता भी कहाँ है! ५  रेखा बिन्दुओं से बनती है अनगिनत किन्तु रेखा सब पहचानते है  बिंदु नहीं  जबकि  बिंदु बूँद है  बूँद से समुद्र बनता है  बिंदु  समापन है  एक वाक्य का  और जीवन का भी  फिर भी सब पहचानते है  रेखा को, समुद्र को  जीवन को  जबकि  सत्य  बिन्दुओ से बना पूर्ण विराम है। 

सन्नाटे में शेयर बाजार

जब शेयर बाजार में   शेयर गिरते है   तो कोहराम मच जाता है   जैसे   न रहा हो कोई अपना   लेकिन , जैसे ही   शेयर बाजार चढ़ता है   पसर जाता है सन्नाटा   उठावनी के बाद का.

#VineshPhogat का या कैसा दबाव !

क्या केंद्र की बीजेपी सरकार दबाव में आ जाती है. यदि ऐसा है तो यह कैसा दबाव ?               विनेश फोगाट साफ़ साफ़ तौर पर ५० किलोग्राम वर्ग में फाइनल के लिए ओवर वेट थी. निस्संदेह यह ओवर वेट १०० ग्राम ही थी. तो इससे क्या ?         इस बार स्वर्ण जीतने वाला पहलवान जापान का पहलवान विगत टोक्यो ओलंपिक्स में केवल ५० ग्राम के कारण डिसक्वालिफाई कर दिया गया था. उसने तो रोना धोना नहीं मचाया.       यह बात तो भारत का कुश्ती महासंघ भी जानता होगा. तो फिर फोगाट के १०० ग्राम को कई क्विंटल वजनी क्यों बना दिया गया ?         क्या आवश्यकता थी , अपील में लाखो रुपये फिजूल खर्च करने की , जबकि परिणाम मालूम था ? क्या विनेश फोगाट और हरियाणा के जाटों को चुनाव को ध्यान में रख कर खुश करने के लिए ? किन्तु , यह तो तुष्टिकरण हुआ. चाहे वह मुस्लमान का हो या जाट का.         कुश्ती महासंघ और केंद्र सरकार   को इस प्रकार के दबाव से हट कर काम करना होगा. अन्यथा तुष...

बीजेपी नहीं नरेन्द्र मोदी हारे!

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप मे दो बड़ी गलतियाँ की। पहली यह कि अधिकारी बिना डरे निर्णय ले सकें, उन्हें लौह सुरक्षा कवच दे दिया। वह सोचते थे कि आईएएस कार्यवाही के भय से निर्णय लेने मे हिचकता है। किंतु वह भूल गए कि कॉंग्रेस की संगत में अधिकांश आईएएस पैसे बनाने को महत्व दे ने वाला बन गया है ।सुरक्षा कवच पा के वह निश्चिंत हो भ्रष्टाचार मे डूब गया।  दूसरी बड़ी गलती अपने दूसरे कार्यकाल में सबका साथ और सबका विकास के साथ सबका विश्वास जोड़ कर की । परिणामस्वरुप, CAA और nrc को लेकर मुसलमानों ने देश में युद्ध छेड़ दिया। ईश्वर की कृपा से देश corona की चपेट मे आ गया, अन्यथा देश को मुस्लिम आतंकवाद निगल जाता। बाद में मोदी जी ने संतृप्तिकरण का करेला चढ़ा कर इन्हें मालामाल कर दिया। एक तरफ क्रुद्ध हिन्दू उनकी मुस्लिमपरस्त नीति पर क्रोध व्यक्त करता, दूसरी ओर मुसलमान पूरी दबंगई के साथ खुद को सताया हुआ बताता। मोदी जी रक्षात्मक होते चले गए, जबकि उनकी पहचान आक्रामक नेता के रूप मे थी। दुखद सत्य यह था कि संतृप्तिकरण की होड़ में गृह मंत्री अमित शाह न तो CAA के विरुद्ध आंदोलन को कुचल पाए, न CAA ल...

अकेला नही...!

कभी भी कोई  न अकेला आता है  न ही जाता है  उसके साथ आते  और साथ जाते हैं  उसके कर्म  पिछले जन्म के  और अगले जन्म के लिए।