महंगाई की
लाल रंग की
जबकि
बढती है
सब्जियों से हरी
२
रेखा
शेयर बाजार की
कभी ऊपर, कभी नीचे
फिर ऊपर, और फिर नीचे
ऐसा प्रतीत होता है जैसे
दंड पेल रहा पहलवान।
३
रेखा
मान और सम्मान की
कोई खींचता नहीं
खीची जाती है
स्वयं से... निरंतर प्रयास कर।
४
रेखा
लक्ष्मण न खीची थी
माता सीता की रक्षा के लिए
लांघा सीता ने ही था
अपहरण हो गया
अब कोई नहीं लांघता
कोई नहीं खींचता
लक्षमण रेखा
क्योंकि,
अब लक्षमण नहीं !
किन्तु सीता भी कहाँ है!
५
रेखा
बिन्दुओं से बनती है
अनगिनत
किन्तु
रेखा सब पहचानते है
बिंदु नहीं
जबकि
बिंदु
बूँद है
बूँद से समुद्र बनता है
बिंदु
समापन है
एक वाक्य का
और जीवन का भी
फिर भी
सब पहचानते है
रेखा को, समुद्र को
जीवन को
जबकि सत्य
बिन्दुओ से बना
पूर्ण विराम है।
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