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बीजेपी नहीं नरेन्द्र मोदी हारे!




नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप मे दो बड़ी गलतियाँ की। पहली यह कि अधिकारी बिना डरे निर्णय ले सकें, उन्हें लौह सुरक्षा कवच दे दिया। वह सोचते थे कि आईएएस कार्यवाही के भय से निर्णय लेने मे हिचकता है। किंतु वह भूल गए कि कॉंग्रेस की संगत में अधिकांश आईएएस पैसे बनाने को महत्व दे ने वाला बन गया है ।सुरक्षा कवच पा के वह निश्चिंत हो भ्रष्टाचार मे डूब गया। 






दूसरी बड़ी गलती अपने दूसरे कार्यकाल में सबका साथ और सबका विकास के साथ सबका विश्वास जोड़ कर की । परिणामस्वरुप, CAA और nrc को लेकर मुसलमानों ने देश में युद्ध छेड़ दिया। ईश्वर की कृपा से देश corona की चपेट मे आ गया, अन्यथा देश को मुस्लिम आतंकवाद निगल जाता। बाद में मोदी जी ने संतृप्तिकरण का करेला चढ़ा कर इन्हें मालामाल कर दिया।





एक तरफ क्रुद्ध हिन्दू उनकी मुस्लिमपरस्त नीति पर क्रोध व्यक्त करता, दूसरी ओर मुसलमान पूरी दबंगई के साथ खुद को सताया हुआ बताता। मोदी जी रक्षात्मक होते चले गए, जबकि उनकी पहचान आक्रामक नेता के रूप मे थी।





दुखद सत्य यह था कि संतृप्तिकरण की होड़ में गृह मंत्री अमित शाह न तो CAA के विरुद्ध आंदोलन को कुचल पाए, न CAA लागू करवा पाए। कथित किसानों की अराजकता ने उन्हें निस्तेज कर दिया। बीजेपी के इन दो लौह नेताओं की छवि पर जंग लग गई।






बंगाल में मुसलमान हिन्दुओं को मारते रहे। बीजेपी की केंद्र सरकार हत्यारों को संतृप्त करती रही। निरीह हिन्दू कटता रहा। ऐसे मे हिन्दुओं को ममता शरण में जाना ही था।




इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बंगाल और पंजाब मे दिखाईं दिया। पूरे देश मे अच्छा प्रदर्शन करने वाली बीजेपी बहुमत से चूक गई।

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