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एब्सॉल्यूट इंडिया, मुंबई में दिनांक २४ अक्टूबर २०१४ को प्रकाशित मेरी रचनाएँ

करुणा

बूँद आसमान से गिरी या आँख से ! दोनों में संभव है करुणा तपती धरती के लिए भूखे बच्चे के रोने पर अंतर है सामर्थ्य का।  आसमान से गिरी बूँद बारिश बन कर धरती तृप्त कर सकती है पर आँखों से गिरी बूँद भूख नहीं मिटा सकती।  

मैं चला

जब रास्ते तुम्हे अज़नबी लगें समझ लो राह भटक गए हो। २. जश्न मनाने में मैं भूल गया कि, आतिशबाजियां जला सकती हैं किसी का घर .  ३.  मैं चलना चाहता था निर्बाध/ चला भी राह के काँटों ने मुझे रोक लिया मैं रुका/थोड़ा झुका कांटे बटोरे एक किनारे कर दिए फिर मैं आगे बढ़ लिया अब पीछे आने वालों के भी रास्ता साफ़ था . 

पांच दीपक और चाँद उदास

१- आस्था का दीपक जलेगा आवश्यकता क्या है तीली सुलगाने  की भावनाओं की २- माँ जब दीपक जला चुकी तब कुलदीपक के नैनों के दीप जल उठे अब फुलझड़ी जलेगी. ३- पूजा की शीघ्रता विघ्नहर्ता गणेश को नहीं लक्ष्मी माता को भी नहीं मूषक राज को चढ़ावा कुतरेंगे। ४- संग संग जलते इठलाते बतियाते दीपक मानों कह रहे हों- अब ठण्ड पड़ने लगी. ५- नन्हा कहीं खो गया क्या ! सबने खोज इधर उधर नन्हा मिला दीपक के पास पूछ रहा था- अकेले उदास तो नहीं।   चाँद उदास चाँद उदास था क्रमशः क्षय को रहा था शरीर तारों ने पूछा- उदास क्यों ! बोला- मैं देख नहीं पाऊंगा पृथ्वी पर टिमटिमाते नन्हे नन्हे दीपों के अंधकार भगाने के कौशल को,  अंधकार के भयभीत चेहरे को जो प्रतीक्षा करता है मेरे क्षय की ताकि, फैला सके पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य।  तब तारों ने कहा- हाँ, हम सौभाग्यशाली है देखते हैं नन्हे दीपों का अन्धकार से सफल युद्ध परन्तु, इसे तुम देख सकते हो हमारी विजयी झिलमिलाहट में।

करवा चौथ

बेटा  तब तक नहीं समझ सका कि  माँ  क्यों करवा चौथ में पूरा दिन व्रत रहती है चाँद का इंतज़ार करती है और पिता है कि आते ही ऑफिस से खाना खा लेते हैं जब तक कि वह करवा चौथ के दिन ऑफिस से आया और पत्नी से खाना परोसवा कर खा  गया।  

थकान

कभी तेज़ भागो इतना तेज़, कि सब पीछे रह जाएँ साथी पीछे छूट जाएँ तब देखना कैसे थक जाते हो पीड़ा से भरे पैर उठने से इंकार कर देते हैं तब तुम पीछे रह जाते हो अपने साथियों से भी पीछे ऎसी होती है भागने से पैदा थकान !

वह आदमी

लोगों की भीड़ के बीच किसी से छोटा किसी से लम्बा किसी से मोटा किसी से दुबला एक आदमी सड़क पर तेज़ भागती रंग-बिरंगी छोटी छोटी, बड़ी बड़ी गाड़ियों से सहमा हुआ एक आदमी ऊंची, बहुत ऊंची और कम ऊंची इमरताओं को अचरज से देखता हुआ एक आदमी खुली आँखों में भी पाले हुए है लम्बे कद के  लोगों के बराबर होना चाहता है इनमे से किसी भागती गाडी में बैठना चाहता है  सबसे ऊंची इमारत की सबसे ऊंची मंज़िल में रहना चाहता है आदमी।  एक दिन, गायब हो जाता है वह आदमी कहाँ गया होगा ? निराश हो कर गाँव लौट गया होगा, किसी भागती गाडी के नीचे आकर पिस  गया होगा,  या सबसे ऊंची इमारत की सबसे ऊंची मंज़िल पर रहने लगा होगा आदमी !!! लेकिन, किसी भी दशा में सड़क पर पैदल चलता नज़र नहीं आएगा वह आदमी.