जब
रास्ते तुम्हे
अज़नबी लगें
समझ लो
राह भटक गए हो।
२.
जश्न मनाने में
मैं भूल गया
कि,
आतिशबाजियां
जला सकती हैं
किसी का घर .
३.
मैं चलना चाहता था
निर्बाध/ चला भी
राह के काँटों ने मुझे रोक लिया
मैं रुका/थोड़ा झुका
कांटे बटोरे
एक किनारे कर दिए
फिर मैं
आगे बढ़ लिया
अब पीछे आने वालों के भी
रास्ता साफ़ था .
रास्ते तुम्हे
अज़नबी लगें
समझ लो
राह भटक गए हो।
२.
जश्न मनाने में
मैं भूल गया
कि,
आतिशबाजियां
जला सकती हैं
किसी का घर .
३.
मैं चलना चाहता था
निर्बाध/ चला भी
राह के काँटों ने मुझे रोक लिया
मैं रुका/थोड़ा झुका
कांटे बटोरे
एक किनारे कर दिए
फिर मैं
आगे बढ़ लिया
अब पीछे आने वालों के भी
रास्ता साफ़ था .
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें