गुरुवार, 23 अक्टूबर 2014

एब्सॉल्यूट इंडिया, मुंबई में दिनांक २४ अक्टूबर २०१४ को प्रकाशित मेरी रचनाएँ


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तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...