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संदेश

बहक गयी बेटी

माँ ने सीख दी थी- बेटी दफ्तर जाना और सीधे घर वापस आना इधर उधर देखना नहीं किसी की छींटाकशी पर कान भी मत देना बेटी/माँ की सीख का अक्षरशः पालन करती थी दफ्तर जाती और सीधे वापस आती इधर उधर भी नहीं देखती, न कुछ सुनती । इसके बावजूद/एक दिन लड़की का अपहरण हो गया कुछ लोग उसे बलात्कार के बाद बेहोश छोड़ गए सड़क पर, गंभीर हालत में । अस्पताल में लड़की का ईलाज चल रहा था बाहर माँ विलाप कर रही थी- हाय क्या हो गया बिटिया को कैसे बहक गए उसके पाँव।

न्यू इयर सेलिब्रेशन

नया साल सेलिब्रेट करने निकले  थे कुछ लोग नाचते रहे रात भर डिस्को पर झूमते रहे पी कर पब में जैसे ही बजा बारह का घंटा बुझी और जली रोशनी गूंज उठा  खुशियों भरा शोर चढ़ गया  नशे का सुरूर कुछ ज़्यादा थिरकने लगे थे लड़खड़ाते पाँव । सेलिब्रेशन खत्म हुआ सिर पर चढ़े नशे के साथ लड़खड़ाते पैर रोंद रहे थे सुनसान सड़क तभी निगाह पड़ी ठंड से काँपते अधनंगे शरीर पर देखने से पता लग रहा था शरीर जवान है-शायद अनछुवा भी शराबी आँखें गड़ गयी जिस्म के खुले हिस्सों पर आँखों आँखों में बाँट लिए अपने अपने हिस्से नशे से मुँदती आँखों पर चढ़ गया जवानी का नशा गरम लग रहा था काँपता शरीर घेर लिया दबोच लिया उसे कामुकता भरे उत्साह से उछलने लगे उसके शरीर के चीथड़े बोटी तरह नुचने लगा शरीर कामुक किलकारियाँ और हंसी डिस्को कर रही थी दर्द भरी चीख़ों के साथ शायद बहरे हो चुके थे आसपास के कान न जाने कितनी देर तक मनता रहा हॅप्पी न्यू इयर जब खत्म हुआ दरिंदगी का उत्सव फूटपाथ  पर रह गया कंपकँपाता शरीर  जिसे...

लाठी

हमारे घर में बाप भाई होते हैं जो हक़ीक़त में मर्द होते हैं हमारे घर में माँ, बेटी और बहन नहीं होती सिर्फ औरते होती हैं या लड़कियां होती हैं औरतें/जिन्हे मर्द बाप बन कर या भाई बन कर नियंत्रित करते हैं क्योंकि, औरतें नाक कटा सकती हैं बलात्कार की शिकार हो कर या विजातीय विवाह कर हमारे घर में बेटे नहीं होते लठियाँ  होती हैं ताकि/ बुढ़िया टेक लगा सके लड़खड़ाए नहीं।

उदास उजाला

कल दीपावली के प्रकाश में नहाया मैं आतिशबाजी की रोशनी से चकाचौंध पटाखों के शोर से बहरा देख नहीं सका ठीक पीछे की अंधरी झोपड़ी को और सुन नहीं सका झोपड़ी में उदास बैठे नन्हे की सिसकियाँ 

सिर्फ दो पंक्तियाँ नहीं

चाहा था तुमने मेरा दामन दागदार करना बात दीगर है कि  तुम्हारे हाथ मैले हो गए . वह कुछ समझते नहीं, मैं समझ गया, यही बात समझाना चाहते थे शायद। बल्बों की लड़ियाँ सजाने से बात न बनेगी दो जोड़ आँखों की कंदीलें जलाओ तो समझूं . दूर तक जाते खड़े देखते रहे मुझको कुछ कदम बढाते तो साथ पाते मुझको। मैंने एक दीया जला के परकोटे पे रख दिया है, शायद कोई भटकता हुआ मेरे घर आ रहा हो।  

रिक्तता

मेरा देखना का नजरिया थोडा अलग है मैं आधा भरा गिलास नहीं मैं आधा खाली गिलास देखता हूँ मुझे उत्तर पुस्तिका की रिक्तता में खेत के खाली हिस्से में अधूरे इंसान में संभावनाएं दिखती  हैं आधे गिलास को मैं पूरा भर सकता हूँ उत्तर पुस्तिका के रिक्त पृष्ठों पर मैं जीवन के कठिन प्रश्न हल कर सकता हूँ खाली खेत की निराई, गुड़ाई और बुवाई कर उम्मीद की फसल बो सकता हूँ खाली गिलास, रिक्त पृष्ठ और अनबुआ  खेत की तरह अधूरे इंसान को पूरा करना ही दृष्टिकोण है मेरा।

निराशा

कभी/जब आशा साथ छोड़ जाए चारों ओर निराशा ही निराशा हो तब घबराओ नहीं निराशा को दोस्त बनाओ उससे प्यार करो वही बताइएगी आशा की राह क्यूंकि निराशा सबसे अधिक अनुभवी होती है उसे हर कोई ठुकराता है उसे हमसे ज़्यादा दर दर की ठोकरें जो मिलती हैं वह हमेशा आशा की जगह लेने के लिए आशा का पीछा करती रहती है इसीलिए वह भगवान से भी ज़्यादा जानती है कि आशा कहाँ मिलेगी।