सोमवार, 24 दिसंबर 2012

लाठी

हमारे घर में
बाप भाई होते हैं
जो हक़ीक़त में मर्द होते हैं
हमारे घर में
माँ, बेटी और बहन नहीं होती
सिर्फ औरते होती हैं
या लड़कियां होती हैं
औरतें/जिन्हे मर्द
बाप बन कर या
भाई बन कर
नियंत्रित करते हैं
क्योंकि,
औरतें
नाक कटा सकती हैं
बलात्कार की शिकार हो कर
या विजातीय विवाह कर
हमारे घर में
बेटे नहीं होते
लठियाँ  होती हैं
ताकि/ बुढ़िया
टेक लगा सके
लड़खड़ाए नहीं।

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सामयिक रचना , नारी के प्रति यह सोच एक सामाजिक विकृति है .बधाई राजेन्द्र जी
    मंजुल भटनागर

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