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संदेश

हिन्दी

अपने देश में पिता के घर भ्रूण हत्या से बच गयी बेटी जैसी उपेक्षित, ससुराल में कम दहेज लाने वाली बहू जैसी परित्यक्त    क्यों है विधवा की बिंदी जैसी राष्ट्रभाषा हिन्दी । (2) कमीना सुन कर नाराज़ हो जाने वाले लोग अब बास्टर्ड सुन कर हँसते हैं।  

नाक

कोई क्यों नहीं समझ पाता अपने सबसे नजदीक को ? क्या हम आँख से सबसे निकट नाक कभी ठीक से देख पाते हैं? जब तक कोई आईना पास न हो।  

गिरगिट

जिन लोगों के पास होती है लंबी जीभ उनके पास आँखें नहीं होती कान नहीं होते यहाँ तक कि नाक भी नहीं होती। ऐसे लोग कुछ सोचना समझना नहीं चाहते वह सोचते हैं कि उनकी लंबी जीभ पर्याप्त है पेट भरने के लिए। ऐसे लोग गिरगिट की तरह होते है मौका परस्त और रंग बदलने वाले लेकिन ऐसे लोग नहीं जानते कि गिरगिट पर कोई विश्वास नहीं करता उसे निकृष्ट दृष्टि से देखा जाता है। भई, गिरगिट धोखेबाज, भयभीत सीधी खड़ी नहीं हो सकती रेंगती रहती है आजीवन।

दर्द का रिश्ता

दो सखियों या बहनों या फिर माँ बेटी जैसा आँखों का आंसुओं से रिश्ता एक महसूस करती दूसरी छलक पड़ती एक रोती दूसरी बह निकलती क्योंकि बहनों-सखियों जैसा माँ बेटी का यह रिश्ता है दर्द का जब  बढ़ जाता है दर्द हद से ज़्यादा तब बिलखने लगती हैं आंखे निकलने लगते हैं आँसू  

किसके हरिश्चंद्र

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मुर्दे

मुझे पसंद हैं मुर्दे ! जो सोचते नहीं मुंह खोलते नहीं वह सांस रोके निर्जीव आँखों से  देखते हैं ज़िंदा आदमी का फरेब जो देखता है, सब कुछ समझता है इसके बावजूद जब मुंह खोलता है तब न जाने कितने ज़िंदा मुर्दा हो जाते हैं। शायद इसीलिए देखते नहीं मुंह खोलते नहीं मुर्दे।

जो

जो जो टाला न जा सके वह घोटाला । जो उगला न जा सके वह निवाला। जो समझा न जा सके वह गड़बड़झाला। जो सब भूल जाए वह हिन्द वाला । (2) बाज़ार मे कसाई जो काट कर बेचे उसे नरम गोश्त कहते हैं। फिल्मों में हीरोइन जो कपड़ा फाड़ कर बेचे उसे गरम गोश्त कहते हैं।       फर्क मेरे सामने तुम मुसकुराते नज़र आओ ऐ दोस्त, मेरे सामने होने का फर्क नज़र आना ही चाहिए।      (1) भूखा आदमी तेज़ भूख लगने पर अपनी व्यथा दोनों हाथों से पेट सहला कर व्यक्त करता है । लेकिन जब भोजन आता है तो उसे खाता एक ही हाथ से है।   तुमने मुझे बेकार कागज़ की तरह फेंक दिया था ज़मीन पर। गर पलट कर देखते तो पाते कि मैं बड़ी देर तक हवा के साथ उड़ता रहा था तुम्हारे पीछे।   (2) मेरे आँगन में शाम बाद होती है पहले उनके घर अंधेरा उतरता है। (3) देखो मैं रास्ते में पड़ा रुपया उठा लाया हूँ। पर वहाँ एक बच्चा अभी भी पड़ा होगा। (4) मेरे आसमान पर चाँद है तारे हैं, पंछी नहीं। सुना है ज़मीन पर आदमी भी भूखा है। (5) दोस्त तुम मुझ पर हँसते हो तो मुझे ख...