सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मैं कौन हूँ ?

तुम मुझे जानते नहीं कि मैं कौन हूँ- मैं वह तिनका हूँ, जो आँखों को रुला सकता है। मैं वह आंसू हूँ, जो दिल को हिला सकता है। मैं वह दिल हूँ, जो धड़कता है दूसरों के लिए, जब नहीं धड़कता तो मौत को रुला सकता है। मुझे जानने की ज़रुरत नहीं है तुमको, मैं वह हूँ, जो तुमको तो सता सकता है। आस्तीन के साँपों को पहचानते नहीं तुम, मैं वह हूँ जो तुमको बता सकता है।

उन बच्चों के लिए जिनके पिता हैं

मैं लड़खड़ा कर गिर रहा था कि एक उंगली ने मुझे सहारा दिया, गिर कर सम्हलना सिखाया, सीधा खड़ा होना और चलना सिखाया । फिर मैं दौड़ने लगा, इतना तेज़ दौड़ा कि वह उंगलियाँ, वह हाथ, कहीं बहुत पीछे छूट गए मैं इस दौड़ में इतना भागा इतना भागा कि जब पलट कर देखा तो कहीं नज़र नहीं आये पिता ।

क्या बकवास है?

यह कौन सा शहर हैं यारों, जहाँ के रास्ते उलटे जाते हैं। घरों को लौटते हुए लोग, घरों से दूर चले जाते हैं। मैं सबसे छुपा हुआ था, रुसवाइयों के घेरे में। लोग हंस रहे थे और मैं रो रहा था। एक बार सोचो तुम कहाँ चले जाते हो, लौटने की सोचते नहीं कि फिर लौट जाते हो। चलो हटाओ कि जो हो गया सो हो गया, राख हटती जाती है, मुर्दा नज़र आता है। मैंने उन्हें अलविदा कहा, उन्होंने हाथ हिलाया लौटा तो देखा कि पडोसी चला आ रहा था।

दोस्तों

ज़िन्दगी को इतना प्यार न कीजिये कि छूटने से डर लगे। साँसों को इतना प्यार न कीजिये कि टूटने से डर लगे। जो बना है वह एक दिन बिखरेगा भी, उदासियों को इतना गले न लगिए कि हंसने से भी डर लगे। दोस्तों हम किसी से कहते नहीं, कि हमें कहने से डर लगता है। दोस्तों हम किसी से छुपते नहीं, कि बाहर आने से डर लगता है। अब दोस्तों कुछ ऐसा हो गया है, हम छुपते नहीं और डर नहीं लगता है।

चुभन

दिन की चुभन कुछ ऎसी होती है, कि चाँद की चांदनी भी सताया करती है। हम रात भर करवटे बदलते हैं, कि ख्वाबों की ताबीर सताया करती है। इंसानों ने इस कदर बदला खुद को, मौसम ने बदलना छोड़ दिया है । इंसानों की फितरत है कुछ ऎसी कि फलों ने महकना छोड़ दिया है।

मैं मैंने

गालियों की शराब और मत फेकिये मुझ पर, सब्र का पैमाना मेरा भर गया है। ठहरिये आप क्या देखेंगे मुझे, आपकी ओर पीठ कर ली है मैंने। कहते कहते थक गया, आपने सुना नहीं, अब मैं सो रहा हूँ, मुझसे पूछो न कुछ। कल तुमने मुझे तमाशा बना दिया, आज लोग तुम्हे देख रहे हैं।

सीख

कभी वह दिन थे, जब हम चलते थे, हवाएं पनाह माँगा करती थीं। आज यह दिन है कि एक तिनका भी राह रोके बैठा है। हमने ताजिंदगी जिन्दगी को जीना सिखाया। आज हमें मौत सीख देती है।