विरोधियों की
हाय हाय का सेशन
बाज़ार में
इन्फ्लेशन।
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खुदरा में
न थोक में
नज़र आती है
महंगाई
हर छह महीने के
महंगाई भत्ते में
नज़र आई।
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बचत में जाए घट
क़र्ज़ में आये न नज़र
समझ लीजिये
कि कम हो गई
ब्याज दर।
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जब न चले बन्दूक,
न गोला बारूद की मार
फिर भी मचा हो
दुनिया में हाहाकार
समझ लीजिये
कि छिड़ गई है
ट्रेड वॉर।
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अमेरिका,
चीन और जापान पर
जिसकी हो आस्था
समझ लीजिये उसे
भारत की अर्थ व्यवस्था।
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