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सोमवार, 30 जून 2014
रविवार, 29 जून 2014
दांत, बच्चे और कोख
मैं बबूल हूँ
मेरे नज़दीक रहो
कांटे चुभेंगे
स्वाद में कड़वा हूँ
फिर भी
सलामत रहेंगे
तुम्हारे दांत !
२-
जीत रहा था मैं
फिर भी हार गया
क्योंकि, उन्हें
हारना पसंद नहीं
बच्चे ऐसे ही होते हैं.
३-
कोख
किराये की नहीं होती
कोख
माँ की होती है.
मेरे नज़दीक रहो
कांटे चुभेंगे
स्वाद में कड़वा हूँ
फिर भी
सलामत रहेंगे
तुम्हारे दांत !
२-
जीत रहा था मैं
फिर भी हार गया
क्योंकि, उन्हें
हारना पसंद नहीं
बच्चे ऐसे ही होते हैं.
३-
कोख
किराये की नहीं होती
कोख
माँ की होती है.
दर्द
उफ्फ!
सांप काटता है
तड़पता है
कुछ तो बात है
आदमी में.
२-
जो
उतारता है ज़हर
कितना होगा
उसमे ज़हर !
३-
नींद
सपना
और आँखें
पहले कौन!
४-
धूमकेतु
राजनीति के
हैं बहुतेरे
पूंछ
हिलाते हुए .
५-
माँ का दर्द
महंगाई नहीं
भ्रष्टाचार है
जेब भर लाता है
रोज बेटा .
सांप काटता है
तड़पता है
कुछ तो बात है
आदमी में.
२-
जो
उतारता है ज़हर
कितना होगा
उसमे ज़हर !
३-
नींद
सपना
और आँखें
पहले कौन!
४-
धूमकेतु
राजनीति के
हैं बहुतेरे
पूंछ
हिलाते हुए .
५-
माँ का दर्द
महंगाई नहीं
भ्रष्टाचार है
जेब भर लाता है
रोज बेटा .
गुरुवार, 19 जून 2014
बेटे तो बेटे होते हैं
बेटे तो बेटे होते हैं
एक माँ
सुबह उठ जाती
बेटे के लिए नाश्ता बनाती
उसे जगाती
नहलाती धुलाती
बस्ते में टिफ़िन रख कर
स्कूल बस तक छोड़ आती
एक दूसरी माँ
बेटे को अलार्म घडी से जगवाती
उसका नाश्ता
रात में सैंडविच बना कर रख देती
बेटे को अलार्म घड़ी उठाती
बेटा नहा कर स्कूल चला जाता
बेटे तो बेटे होते हैं
बेटे पढ़ लिख गए
बड़े आदमी बन गए
पर माँ के लिए '
बेटे तो बेटे होते हैं
इसलिए, दोनों बेटो ने
अपनी अपनी माँ को
घर से निकाल दिया
क्योंकि,
बेटे तो बेटे होते हैं.
एक माँ
सुबह उठ जाती
बेटे के लिए नाश्ता बनाती
उसे जगाती
नहलाती धुलाती
बस्ते में टिफ़िन रख कर
स्कूल बस तक छोड़ आती
एक दूसरी माँ
बेटे को अलार्म घडी से जगवाती
उसका नाश्ता
रात में सैंडविच बना कर रख देती
बेटे को अलार्म घड़ी उठाती
बेटा नहा कर स्कूल चला जाता
बेटे तो बेटे होते हैं
बेटे पढ़ लिख गए
बड़े आदमी बन गए
पर माँ के लिए '
बेटे तो बेटे होते हैं
इसलिए, दोनों बेटो ने
अपनी अपनी माँ को
घर से निकाल दिया
क्योंकि,
बेटे तो बेटे होते हैं.
रविवार, 15 जून 2014
पिता की उंगली
आज पहली बार
मुझे एहसास हुआ
पिता के न होने का
ठोकर लगी
मैं लड़खड़ाया
घुटनों के बल गिर पड़ा
क्योंकि,
थामने को नहीं थी
पिता की उंगली .
मुझे एहसास हुआ
पिता के न होने का
ठोकर लगी
मैं लड़खड़ाया
घुटनों के बल गिर पड़ा
क्योंकि,
थामने को नहीं थी
पिता की उंगली .
शुक्रवार, 13 जून 2014
गुरुवार, 12 जून 2014
अपनत्व
दुःख
ईर्षालु होता है
वह हमें सताता है
क्योंकि, हम
सुख को
प्यार करते हैं .
दुःख को अपना लो
सुख आपका होगा ही
दुःख भी आपको
सताएगा नहीं.
ईर्षालु होता है
वह हमें सताता है
क्योंकि, हम
सुख को
प्यार करते हैं .
दुःख को अपना लो
सुख आपका होगा ही
दुःख भी आपको
सताएगा नहीं.
रविवार, 8 जून 2014
दुश्मन जुबान
दोस्त,
पहचानो
अपने अंदर छुपे दुश्मन को
उसे नियंत्रित करो
मुंह के अंदर छिपी जुबान
जब जब
अनियंत्रित हो कर बाहर निकलती है
दुश्मन ही पैदा करती है.
पहचानो
अपने अंदर छुपे दुश्मन को
उसे नियंत्रित करो
मुंह के अंदर छिपी जुबान
जब जब
अनियंत्रित हो कर बाहर निकलती है
दुश्मन ही पैदा करती है.
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