रविवार, 29 जून 2014

दर्द

उफ्फ!
सांप काटता है
तड़पता है
कुछ तो बात है
आदमी में.
२-
जो
उतारता है ज़हर  
कितना होगा
उसमे ज़हर !
३-
नींद
सपना
और आँखें
पहले कौन!
४-
धूमकेतु
राजनीति के
हैं बहुतेरे 
पूंछ
हिलाते हुए .
५-
माँ का दर्द
महंगाई नहीं
भ्रष्टाचार है
जेब भर लाता है
रोज बेटा .

1 टिप्पणी:

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