रविवार, 15 जून 2014

पिता की उंगली

आज पहली बार
मुझे एहसास हुआ
पिता के न होने का
ठोकर लगी
मैं लड़खड़ाया
घुटनों के बल गिर पड़ा
क्योंकि,
थामने को नहीं थी
पिता की उंगली .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...