सोमवार, 30 जून 2014

प्यार (कविता) नेशनल दुनिया ०१ जुलाई २०१४ अंक में प्रकाशित

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तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...