गुरुवार, 30 अक्टूबर 2025

कोई नहीं करता

लड़की ने लडके से कहा- 

तुम मुझे कितना प्यार करते हो ? 

 लड़के ने कहा - उतना---!

उत्सुक लड़की ने टोका - बोलो न कितना ! 

लड़का बोला - उतना कोई नहीं करता। 

लड़की ख़ुशी से उछल पड़ी

लड़का भी खुश 

बुदबुदाया -

कोई नहीं करता !

बुधवार, 29 अक्टूबर 2025

हाथ नहीं छोड़ते.

 घर के छज्जे पर खड़े 

देखा है मैंने 

वृद्ध दंपति को एक दूसरे का हाथ पकड़े 

टहलते हुए 

बातचीत करते 

खिलखिलाते, मुस्कराते 

कभी वह बहस करते 

वृद्ध क्रुद्ध होता 

दोनों के मुख पर तनाव होता 

किन्तु तब भी दोनों 

हाथ नहीं छोड़ते. 

रविवार, 26 अक्टूबर 2025

जैसे छाया

 मैंने अपने परम मित्र से कहा- 

तुम मेरे साथी हो 

सुख दुख के 

संघर्ष और विजय के 

हम दोनों शरीर और छाया जैसे है। 

पर यह क्या! 

अब वह साथ नहीं चलते 

पीछा करते है 

जैसे छाया !


गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

तीन किन्तु

 गरमी में 

चिलकती धूप में 

छाँह बहुत सुखदायक लगती है 

किन्तु, छाँह में 

कपडे कहाँ सूखते हैं !


२- 

 गति से बहती वायु 

बाल बिखेर देती है 

कपडे उड़ा देती है। 

किन्तु, 

जब नहीं चलती

चेहरे पर हवाइयां उड़ा देती है। 


३ 

पक्षी और मनुष्य 

भटकते रहते है 

पक्षी दाना पानी की खोज में 

मनुष्य रोजी रोटी की खोज में 

कभी कभी दाना पानी रोजी रोटी नहीं मिलती 

किन्तु, पक्षी कभी 

इंसान की तरह निराश नहीं होते। 

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025

वर्षा से चिंतित माँ!

घनघोर वर्षा 

कड़कती बिजली 

गर्जन करते मेघ 

सब जल- थल 

मैं माँ के पास बैठ जाता 

माँ चिन्तित दृष्टि बाहर डालती 

मेघ आच्छादित आकाश देखती 

मैं समझ नहीं पाता

माँ इतनी चिन्तित क्यों! 

हम तो घर में है सुरक्षित 

चिन्ता की बात क्या 

तभी छत टपकने लगी 

टपाक! 

एक बूँद मेरे सर पर बजी 

अब मैं समझ गया था। 

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

मैं गिद्ध



उन्नत पर्वत शिखर पर बैठा वृद्ध गिद्ध 

अब, घिस चुकी चोंच को नुकीला करेगा 

पर्वत से घिस घिस कर 

अपने नख तोड़ देगा 

स्वयं को शिखर से लुढ़का देगा 

ताकि क्लांत पंखों को नया जन्म दिया जा सके 

इसके बाद, उसका पुनर्जन्म होगा 

वह पुनः वृद्ध से युवा गिद्ध बन जायेगा 

मैं भी गिद्ध हूँ 

वृद्ध शिथिल शरीर हूँ 

किन्तु, क्लांत नहीं 

मैं शिखर पर पहुँच कर 

अपने शिथिल शरीर का पुनर्निर्माण करूंगा 

नख घिसूंगा 

स्वयं को शिखर से लुढ़का कर 

नए पंखों को जन्म दूंगा 

ऊंची उड़ान भरने के लिए। 

शनिवार, 30 अगस्त 2025

सब कुछ समाप्त!

 जब वर्षा हो रही होती है

पक्षियों का कलरव बंद हो जाता है 

वह सहम जाते हैं 

 दुबक जाते है 

जब बादल गरजता हैं 

बिजली कड़कती है 

बच्चे माँ की गोद मे सिमट जाते है 

सभी घोंसले मे छुप हो जाते हैं 

अब वृक्ष  अछा लेगा 

कि तभी 

जोरदार बिजली कड़कती है 

बादल गर्जना करते है 

बिजली गिरती है 

सीधा वृक्ष पर 

सब कुछ समाप्त ।


'मौन"

सुनो, मौन का स्वर  मौन  सहमति है. मौन  सहनशीलता है मौन व्यक्ति का निरीक्षण है  मौन में सब समाहित  इसे निर्बल न समझो  मौन  मेघों का नाद है  म...