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मेरे विचार!

मैं चुप रहा  क्या मैं डर गया  चुप्पी का डर।  2- सब चल रहे थे  मैं भी चला  चलता चला गया   पता नहीं कहाँ निकल आया  वापसी कैसे करूँ   ! 3- किसी ने कहा था  कुछ ने सुना था  सभी सुनने वालों ने  निकाले मतलब  अपने मतलब के । 4-  समझ लो  कोई नहीं बोल रहा  कोई बोलेगा भी नहीं  क्या सब गूंगे है ?  नहीं  सब बहरे हैं । 5-  अरे वाह !  चारो तरफ सन्नाटा है  कितनी शांति है!  नहीं,  कुछ देर पहले बम फटा था ।

मैं, तुम हूँ!

  तुम मुझे भूल गए क्या? मैं सदैव तुम्हारा साथ देता था  तुम्हारा सहारा था  सुख में  दुख मे  संघर्ष काल में  उबरने की  छटपटाहट मे  हाथ थाम लेता था  तुम सदैव विजित रहे  मेरे कारण  तुम मुझे भूल गए!  मैं  तुम हूँ  तुम्हारा अतीत  तुम भूल गया क्या? उठो, चल पड़ो!

शायद मैं थक गया हूँ!

  पैर उठते नहीं  शरीर को सहन नहीं कर पा रहे  शायद मैं थक गया हूँ  मस्तिष्क साथ नहीं दे रहा  अंग किसी की नहीं सुन रहे  शायद मैं थक गया हूँ  अतीत बहुत याद आता है  वर्तमान मुझे सताता है  शायद मैं थक गया हूँ!

लेख कविताएँ और हास्य व्यंग्य

 

खिच खिच क्रिकेट

 

बिंदु की रेखा !

रेखा  महंगाई की  लाल रंग की  जबकि  बढती है  सब्जियों से हरी  २  रेखा शेयर बाजार की  कभी ऊपर, कभी नीचे  फिर ऊपर, और फिर नीचे ऐसा प्रतीत होता है जैसे  दंड पेल रहा पहलवान। ३  रेखा  मान और सम्मान की  कोई खींचता नहीं  खीची जाती है  स्वयं से... निरंतर प्रयास कर।  ४  रेखा  लक्ष्मण न खीची थी  माता सीता की रक्षा के लिए लांघा सीता ने ही था  अपहरण हो गया अब कोई नहीं लांघता कोई नहीं खींचता  लक्षमण रेखा  क्योंकि,  अब लक्षमण नहीं ! किन्तु सीता भी कहाँ है! ५  रेखा बिन्दुओं से बनती है अनगिनत किन्तु रेखा सब पहचानते है  बिंदु नहीं  जबकि  बिंदु बूँद है  बूँद से समुद्र बनता है  बिंदु  समापन है  एक वाक्य का  और जीवन का भी  फिर भी सब पहचानते है  रेखा को, समुद्र को  जीवन को  जबकि  सत्य  बिन्दुओ से बना पूर्ण विराम है। 

सन्नाटे में शेयर बाजार

जब शेयर बाजार में   शेयर गिरते है   तो कोहराम मच जाता है   जैसे   न रहा हो कोई अपना   लेकिन , जैसे ही   शेयर बाजार चढ़ता है   पसर जाता है सन्नाटा   उठावनी के बाद का.