सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

विभीषण

तीन भाई होते हुए भी तीन भाइयों वाले राम से इसलिए हारा रावण कि जहां राम के साथ भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण थे वही रावण के तीन भाइयों में एक विभीषण जो था।  

सोचो राम !!!

प्रत्यंचा चढ़ाये होठों में मुसकुराते /राम से रावण ने कहा- राम तुम राम न होते मैं रावण नहीं होता तुम वहाँ नहीं होते मैं यहाँ नहीं होता अगर, थोड़ा रुक कर बोला रावण - यहाँ अगर का बड़ा महत्व है राम अगर तुम्हें भाई घाती सुग्रीव न मिलता तो तुम बाली को न मार पाते बानरों से सीता का पता न पाते अगर तुम मेरे भाई को विभीषण न बनाते तो मेरी नाभि के अमृत का पता न चलता मेरी अमरता को मार न पाते । तुम  राम हो और मैं रावण  हूँ क्योंकि मुझे विद्रोही भाई मिले जबकि तुम्हें भरत मिला । अगर भरत भी विभीषण बन जाता तो सोचो राम क्या तुम राम बन पाते ? अयोध्या के राजा बन कर अपनी मर्यादा जता  पाते? सोचो राम !!!  

ऊन उलझी

जाड़ों  में एक औरत स्वेटर बुनती है । फंदा डालना है फंदा उतारना है अधूरे सपनों को इनसे संवारना है हरेक स्वेटर में ज़िंदगी गुनती है। जाड़ा आता है जाड़ा चला जाता है जिसने कुछ ओढा हो उसे यह भाता है। गुनगुनी धूप से भूख कहाँ रुकती है। जिंदगी की स्वेटर में डिजाइन कहाँ उलझी हुई ऊन से सब हैं यहाँ ऐसी ऊन से माँ सपने बुनती है ।

स्वेटर

जाड़ों में स्त्रियाँ स्वेटर बुनती नज़र आती हैं धूप में बैठी हुई बात करती तेज़  गति से सलाई चलाती एक फंदा सीधा, एक उल्टा या कुछ फंदे सीधे और कुछ उल्टे या फिर ऐसे ही गणित के साथ डिजाइन बनाती हैं। स्वेटर लड़की के लिए भी बन रही है और लड़के के लिए भी लेकिन लड़का पहले है कुल का चिराग है कहीं ठंड न लग जाये लड़के की स्वेटर की ऊन भी नयी है लड़की के लिए मिक्स है। लड़के की स्वेटर के डिजाइन में खूबसूरत फूल हैं हाथी घोड़े और चढ़ता सूरज है लड़की के स्वेटर में एक दुबली सी लड़की की डिजाइन है डिजाइन वाली लड़की न जाने हंस रही है या रो रही है मगर स्वेटर पूरी होने को है।  निश्चित रूप से पूरी स्वेटर देख कर पुलक उठेगी मुनिया पिछले जाड़ों में तो छेद वाली ही स्वेटर नसीब हुई थी न!

दरख्त जैसे मकान

मेरे शहर में ऊंचे ऊंचे दरख्तों जैसे एक के ऊपर एक चढ़े मकान होते हैं  जिनके सामने ऊंचे दरख्त भी बहुत छोटे लगते हैं कभी कबीर ने कहा था - बड़ा भया तो क्या भया/ जैसे पेड़ खजूर / पंथी को छाया नहीं / फल लागे अति दूर । मेरे शहर के इन गगनचुंबी दरख्तों पर फल तो लगते ही नहीं  छाया क्या खाक देंगे दरख्तों को काट कर बने मकान।

सबक

मरे जानवर की खाल से बना जूता काटता है पहनने वाले को /परेशान करने की अपनी क्षमता का पता बताता है अगर ज़िंदा आदमी ऐसा कर सकता है तो मरे का काम ही किया ना! यही जूता अगर उल्टे पाँव में पहनो तो तत्काल/एहसास करा देता है कि उल्टा पहन लिया तब आदमी जूते से सबक लेते हुए सीधा काम क्यों नहीं करता!  

कौव्वा

कभी हमारे घर की मुंडेर पर कौव्वा आ बैठता था। जब वह कांव कांव करता तो आ आ का आभास होता  हम बच्चे उसे उड़ाने लगते पत्थर फेंक कर/तब माँ कहती- बेटा, ऐसा न कर मेहमान घर आने वाला है कौव्वा उनके आने का संदेश दे रहा है आज घर है मुंडेर नहीं कौव्वा बैठे भी तो कहाँ क्या/शायद इसीलिए हमारे घर कोई मेहमान नहीं आता?