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संदेश

बंदी

क्या आप जानते हो कि क़ैद क्या होती है? यही न कि ऊंची ऊंची दीवारें मोटी सलाखों के पीछे बना ठंडी सीमेंट का बिस्तर और ओढ़ने को फटे पुराने कंबल या चादर? पूरी तरह से ड्यूटी पर मुस्तैद मोटे तगड़े बंदी रक्षक बात बेबात उनकी गलियाँ और बेंतों की मार? ठंडा उबकाई पैदा करने वाला भोजन और जली रोटियाँ? मेरी क़ैद इससे अलग भावनाओं की क़ैद है जहां शरीर की कोमल दीवारें हैं, साँसों के बंदी रक्षक है रिश्ते हैं नाते हैं, अपने हैं पराए हैं उनके स्वार्थ हैं और निःस्वार्थ भी। वह मुझे चाहते हैं और नहीं भी वह मेरा जो कुछ भी है पाना चाहते हैं वह मुझसे लड़ते झगड़ते और कोसते भी हैं। इसके बावजूद मैं एक कैदी होते हुए भी खुश हूँ। मोह के बंदी गृह का बंदी हूँ मैं।

बच्चा

बच्चा जब रोता है चुपके चुपके सुबकता सा सबसे छुपता छुपाता क्यूंकि माँ देख लेगी या कोई और देख कर माँ को बताएगा तो माँ डांटेगी- क्यूँ रोता है न मिलने वाली हर चीज़ के लिए जिद्द करते हुए ? बच्चा फिर भी रोता रहता है जानते हुए भी,  कि, उसे वह चीज़ नहीं मिल सकती ऐसे में उसे चीज़ न मिल पाने का दुःख रुलाता है . बड़े हो जाने के बावजूद आज भी वह बच्चा रोता है चुपचाप सुबकता हुआ इसलिए नहीं, कि, उसे मनचाही चीज़ नहीं मिल सकती बल्कि इसलिए कि वह छुपाना चाहता है अपने दुःख को जिसे वह सब को दिखा नहीं सकता इसी व्यक्त न कर पाने की  मजबूरी का दुःख उसे रुलाता है एक बच्चे की तरह.

हारने का दर्द लँगड़ाना

यह कविता मैंने अभिव्यक्ति समूह की वाल पर ११ नवम्बर २०११ को लिखी थी. आज ब्लॉग में अंकित कर रहा हूँ. हारने का दर्द उसे क्या मालूम जो कभी जीता ही नहीं. यह कविता मैंने १९ नवम्बर को लिखी थी कभी कभी लंगड़ाना भी अच्छा होता है. आप इच्छाओं की दौड़ में भाग नहीं ले पाते.

पाँच बचपन

जानते हो बच्चा इस बेफिक्री से हंस कैसे लेता है? क्यूंकि, वह जानता नहीं कि रोना क्या होता है. क्यूंकि रोना तो उसके लिए माँ को पास बुलाने का उसका वात्सल्य पाने का एक मासूम बहाना है. जबकि हम रोने को रोते हैं रोने की तरह कुछ न पाने और कुछ खो देने के कारण . यही तो फर्क है माँ और मान पाने के लिए रोने का !      (२) एक दिन मैंने ज़िंदगी से मनो-विनोद किया  उस दिन मैं  ऑफिस से जल्दी आ गया था।  मेरा नन्हा  सोया न था।        (३) नन्हें से मैंने पूछा- तुम मुझे कितना प्यार करते हो? उसने अपने दोनों हाथ फैला दिये दूसरे पल सारी दुनिया का प्यार मेरी सीने से चिपका था। (४) मैंने  सिसकते बेटे से पूछा- रो क्यूँ रहे हो? बोला- माँ ने मारा। मैंने कृत्रिम क्रोध दिखाया-   अभी मैं उसे मारता हूँ। बेटे ने तुरंत आँसू पोछ लिए बोला- नहीं तुम नहीं मारो। मैंने पूछा- क्यूँ? तो बोला- नहीं, तुम माँ नहीं हो।   (५) बच्चा घुटनों...

एक सौ हम

हम दोनों के बीच लम्बे समय की संवादहीनता के कारण बड़ा सा शून्य बन गया था. पर हम इस शून्य में उलझे नहीं इससे खुद को गुणा नहीं किया शून्य से खुद को घटाया नहीं शून्य को बांटने की कोशिश भी नहीं की क्यूंकि हर दशा में हम खुद शून्य हो जाते हम खुद भी   शून्य के पीछे नहीं लगे हमने शून्य को अपने पीछे लगाया तब शून्य के कारण दस गुणा समझदार हो गए हम फिर हम मिले न किसी को घटाया बढाया न अपने से बांटा जोड़ा भी नहीं सिर्फ एक दूसरे को गुणा किया और एक सौ हो गए.

क्यूँ ???

क्या ईश्वर ने बीज,पौंधे, पेड़, पशु-पक्षी और मनुष्य इसलिए बनाये कि पौंधा पेड़ बन कर बीज को सुखा दे? शेर मेमने को निगल ले, बाज मैना को झपट जाए? ताक़तवर कमज़ोर को सताए मनुष्य जीवित मनुष्य को मृत कर दे? अगर ब्रह्मा को अपनी पृकृति यूँ ही ख़त्म करनी होती तो पालने और रक्षा करने वाले विष्णु क्यों बार बार जन्म लेते ब्रह्मा ही खुद शंकर बन कर अपनी पृकृति स्वयं नष्ट न कर देते?

मैदान की लड़की

बेटी अब माँ बन गयी थी सुबह सुबह उठ कर बच्चों, पति और खुद के लिए नाश्ता बनाना बच्चों को उठा कर ब्रश कराना, नहलाना धुलाना, पति को बेड टी देना फिर बच्चों को टिफिन दे कर स्कूल भेजना और फिर अपना नाश्ता करना इसी बीच पति और अपना खाना बनाना और पैक करना खुद और पति के नहाने के बाद उनके कपड़े निकाल देना पति के तैयार हो जाने के बाद उन्हें उनका टिफिन पकड़ाना और दरवाज़े तक विदा करना बिलकुल माँ की तरह सब करती थी बेटी अब खुद तैयार होने के लिए वह आईने के सामने है बालों पर कंघी करते हुए उसे यकायक माँ याद आ जाती हैं जब भी वह माँ की कंघी करती तो उनके सर के बीचो बीच पाती बालों का अभाव वह माँ से मज़ाक करती पूछती माँ तुम्हारे सर यह गड्ढा कैसे हुआ? माँ गहरी सांस लेकर कहती- बेटा पहाड़ की ज़िन्दगी बेहद कठिन होती है हम औरतों को ही दूर से पानी भर कर और लकड़ियाँ बटोर कर उनका भार सर पर ढो कर लाना पड़ता है जिस सर पर हर दिन इतने भार रखे जाएँ उस सर पर बाल कैसे हो सकते हैं? तुम भाग्यशाली हो बेटी मैदान में हो, ज़िन्दगी इतनी कठिन नहीं हैं फिर तुम्हारे सर पर बाल भी कितने लम्बे और घने हैं . बे...