जानते हो
बच्चा इस बेफिक्री से
हंस कैसे लेता है?
क्यूंकि,
वह जानता नहीं कि
रोना क्या होता है.
क्यूंकि
रोना तो उसके लिए
माँ को पास बुलाने का
उसका वात्सल्य पाने का
एक मासूम बहाना है.
जबकि
हम रोने को रोते हैं
रोने की तरह
कुछ न पाने और
कुछ खो देने के कारण .
यही तो फर्क है
माँ और मान पाने के लिए
रोने का !
(२)
एक दिन मैंने
ज़िंदगी से मनो-विनोद किया
उस दिन मैं
ऑफिस से जल्दी आ गया था।
मेरा नन्हा
सोया न था।
(३)
नन्हें से
मैंने पूछा-
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
उसने अपने दोनों हाथ फैला दिये
दूसरे पल
सारी दुनिया का प्यार
मेरी सीने से
चिपका था।
(४)
मैंने सिसकते बेटे से पूछा-
रो क्यूँ रहे हो?
बोला- माँ ने मारा।
मैंने कृत्रिम क्रोध दिखाया-
अभी मैं उसे मारता हूँ।
बेटे ने तुरंत आँसू पोछ लिए
बोला- नहीं तुम नहीं मारो।
मैंने पूछा- क्यूँ?
तो बोला- नहीं, तुम माँ नहीं हो।
(५)
बच्चा
घुटनों के बल
सरक रहा था
मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो?
हँसते हुए बोला-
बाबा, मुझे पकड़ो।
अगले पल
मैं भी
उसको पकड़ने के लिए
घुटनों के बल रेंग रहा था।
बच्चा इस बेफिक्री से
हंस कैसे लेता है?
क्यूंकि,
वह जानता नहीं कि
रोना क्या होता है.
क्यूंकि
रोना तो उसके लिए
माँ को पास बुलाने का
उसका वात्सल्य पाने का
एक मासूम बहाना है.
जबकि
हम रोने को रोते हैं
रोने की तरह
कुछ न पाने और
कुछ खो देने के कारण .
यही तो फर्क है
माँ और मान पाने के लिए
रोने का !
(२)
एक दिन मैंने
ज़िंदगी से मनो-विनोद किया
उस दिन मैं
ऑफिस से जल्दी आ गया था।
मेरा नन्हा
सोया न था।
(३)
नन्हें से
मैंने पूछा-
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
उसने अपने दोनों हाथ फैला दिये
दूसरे पल
सारी दुनिया का प्यार
मेरी सीने से
चिपका था।
(४)
मैंने सिसकते बेटे से पूछा-
रो क्यूँ रहे हो?
बोला- माँ ने मारा।
मैंने कृत्रिम क्रोध दिखाया-
अभी मैं उसे मारता हूँ।
बेटे ने तुरंत आँसू पोछ लिए
बोला- नहीं तुम नहीं मारो।
मैंने पूछा- क्यूँ?
तो बोला- नहीं, तुम माँ नहीं हो।
(५)
बच्चा
घुटनों के बल
सरक रहा था
मैंने कहा- यह क्या कर रहे हो?
हँसते हुए बोला-
बाबा, मुझे पकड़ो।
अगले पल
मैं भी
उसको पकड़ने के लिए
घुटनों के बल रेंग रहा था।
बहुत ही भावपूर्ण रचनायें हैं - बधाई
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