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संदेश

लकड़ी

मैं सीली लकड़ी नहीं कि, खुद तिल तिल कर सुलगूँ और दूसरों को धुआं धुआं करूँ . मैं सूखी लकड़ी हूँ धू धू कर सुलगती हूँ खुद जलती हूँ और किसी को भी जला सकती हूँ अब यह तुम पर है कि तुम मुझसे अपना चूल्हा जलाते हो या किसी का घर !

आसमान

करोड़ों सालों से आसमान तना हुआ है हम सब के सर पर होते हुए भी वह हम पर गिरता नहीं है क्या आपने सोचा कि ऐसा क्यूँ? क्यूंकि वह बिल्कुल हल्का है अपने अहम के भार के बिना तब हम क्यूँ करोड़ों साल के इस सत्य को स्वीकार नहीं करते क्यूँ अपने ही भार से गिर गिर पड़ते हैं?

डरपोक बिल्ली

मुझे छेड़ो नहीं, मुझे घेरो नहीं, मैं डरपोक बिल्ली सा हूँ। तुम्हारी छेड़ छाड़ और घेर घार से भागता हुआ। मेरे पास लंबे नुकीले, मजबूत नाखून हैं इसके बावजूद मैं पलटवार नहीं करता तुम पर प्रहार नहीं करता क्यूंकि मैं खुद भी जीना चाहता हूँ और तुम्हें भी जीने देना चाहता हूँ लेकिन ख्याल रहे अगर तुमने मेरा पीछा न छोड़ा मुझे घेरना ना छोड़ा तो मैं डर जाऊंगा इतना डर जाऊंगा कि मर जाऊंगा ऐसे में जबकि मुझे जीना है तो मुझे तुम्हें मारना होगा अपने तीखे नाखूनों से फाड़ना होगा क्यूंकि मैं एक डरपोक बिल्ली हूँ।

गांधी

गांधी हमारे देश के नहीं थे भाई गांधी हमारे देश के कैसे हो सकते हैं। कहाँ हम लक़दक़ कपड़ों में घूमने वाले इंडियन कहाँ लंगोटी बांधे भारत की गली गली घूमता फकीर कहाँ हम महंगी घड़ी बांधे फॉरवर्ड कहाँ लाठी पकड़े अंग्रेजों को हकाने वाला बॅकवर्ड कहाँ हम फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलने पर गर्व करने वाले अँग्रेज़ीदाँ कहाँ भारतीय भाषाओं के बल पर अंग्रेजों को झुकाने वाला हिंदुस्तानी। वह इंडिया के लायक नहीं था तभी तो आज़ादी के बाद गोडसे ने उसे शरीर से मारा हमने उसे विचारों से भी मार दिया। अरे भाई कह दिया न गांधी हमारे देश के लिए नहीं थे गांधी जयंती २ अक्टूबर

हे राम

                    हे राम !!! हे राम, तुम वन गए सीता को साथ लेकर. सीता ने चौदह बरस तक मिलन और विछोह झेला लेकिन जब तुम अयोध्या वापस आये, तो सीता को फिर से वन क्यूँ भेज दिया. क्या पुरुषोत्तम का उत्तम पौरुष यही है कि वह अपनी स्त्री की इच्छा न जाने? अहिल्या सति थीं, इसलिए राम के चरण का स्पर्श पाकर फिर से पत्थर से नारी बन गयीं लेकिन रावण के बंदीगृह से छूटी सीता राम का स्पर्श पाकर भी पत्नी क्यूँ नहीं बन सकी.

मेरे चार वचन

मेरे चाहने वाले मेरी राहों पर कांटे बिखेरते  है मैं बटोरते चलता हूँ कि कहीं उन्हे चुभे नहीं। २. अगर लंबाई पैमाना है तो लकीर सबसे लंबी है, आदमी जितनी चाहे लंबी लकीर खींच सकता है। ३. मुझे बौना समझ कर हंसों नहीं ऐ दोस्त, मैं वामन बन कर तीनों लोक नाप सकता हूँ। ४. उन्होने पिलाने का ठेका नहीं लिया है, तभी तो लोग पीने को ठेके पर जाते हैं।