करोड़ों सालों से
आसमान तना हुआ है
हम सब के सर पर होते हुए भी
वह हम पर गिरता नहीं है
क्या आपने सोचा कि ऐसा क्यूँ?
क्यूंकि वह बिल्कुल हल्का है
अपने अहम के भार के बिना
तब हम क्यूँ
करोड़ों साल के इस सत्य को स्वीकार नहीं करते
क्यूँ अपने ही भार से गिर गिर पड़ते हैं?
आसमान तना हुआ है
हम सब के सर पर होते हुए भी
वह हम पर गिरता नहीं है
क्या आपने सोचा कि ऐसा क्यूँ?
क्यूंकि वह बिल्कुल हल्का है
अपने अहम के भार के बिना
तब हम क्यूँ
करोड़ों साल के इस सत्य को स्वीकार नहीं करते
क्यूँ अपने ही भार से गिर गिर पड़ते हैं?
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