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गांधी

गांधी हमारे देश के नहीं थे भाई गांधी हमारे देश के कैसे हो सकते हैं। कहाँ हम लक़दक़ कपड़ों में घूमने वाले इंडियन कहाँ लंगोटी बांधे भारत की गली गली घूमता फकीर कहाँ हम महंगी घड़ी बांधे फॉरवर्ड कहाँ लाठी पकड़े अंग्रेजों को हकाने वाला बॅकवर्ड कहाँ हम फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलने पर गर्व करने वाले अँग्रेज़ीदाँ कहाँ भारतीय भाषाओं के बल पर अंग्रेजों को झुकाने वाला हिंदुस्तानी। वह इंडिया के लायक नहीं था तभी तो आज़ादी के बाद गोडसे ने उसे शरीर से मारा हमने उसे विचारों से भी मार दिया। अरे भाई कह दिया न गांधी हमारे देश के लिए नहीं थे गांधी जयंती २ अक्टूबर

हे राम

                    हे राम !!! हे राम, तुम वन गए सीता को साथ लेकर. सीता ने चौदह बरस तक मिलन और विछोह झेला लेकिन जब तुम अयोध्या वापस आये, तो सीता को फिर से वन क्यूँ भेज दिया. क्या पुरुषोत्तम का उत्तम पौरुष यही है कि वह अपनी स्त्री की इच्छा न जाने? अहिल्या सति थीं, इसलिए राम के चरण का स्पर्श पाकर फिर से पत्थर से नारी बन गयीं लेकिन रावण के बंदीगृह से छूटी सीता राम का स्पर्श पाकर भी पत्नी क्यूँ नहीं बन सकी.

मेरे चार वचन

मेरे चाहने वाले मेरी राहों पर कांटे बिखेरते  है मैं बटोरते चलता हूँ कि कहीं उन्हे चुभे नहीं। २. अगर लंबाई पैमाना है तो लकीर सबसे लंबी है, आदमी जितनी चाहे लंबी लकीर खींच सकता है। ३. मुझे बौना समझ कर हंसों नहीं ऐ दोस्त, मैं वामन बन कर तीनों लोक नाप सकता हूँ। ४. उन्होने पिलाने का ठेका नहीं लिया है, तभी तो लोग पीने को ठेके पर जाते हैं।  

मेरा अंदाज़

        मेरा अंदाज़ मेरी चाहत से कुछ नहीं होता, तुम्हारे चाहने वाले बहुत से हैं। तुम्हें वफाओं से फर्क नहीं पड़ता, पर दुनिया में बेवफा बहुत से हैं। तुम लाख न मानो, मानना पड़ेगा, मेरे जैसे लोग कहाँ बहुत से हैं। बेशक मेरे पास वह अंदाज़ नहीं, पर बेअंदाज राजा यहाँ बहुत से हैं

हाइकु

हँसता सूर्य राक्षस से पहाड़ हिम्मत मेरी   २- नदी की धार गोरी की कमरिया मुग्ध देखूं मैं. ३- बहती हवा ममता का आँचल मेरा सुकून ४- चुभती धूप भीष्म की शर शैया मैं हूँ बेचैन ५- आ गयी रात रो रहे हैं कुत्ते बच्चे सो गए. 6- शीत लहरी पत्ते पीले हो गए बुड्ढा मरेगा. 7-   सूना आकाश उड़ते चील कौव्वे मेरी तमन्ना   ८- काले बादल विधवा रो रही है   जल ही जल ९-   प्रिय  न आये शाम बीत रही है आँखों में रात १०- रात आ गयी जुगनू उड़ रहे दिखती राह १३. दुल्हन आई   आँगन में बौछार बौराया मन .   १४. बौर आ गयी बारात आ रही है खुशी की बात .

समानता

                                       समानता गरीब बच्चे को अमीर बच्चे की आधुनिक माँ में अपनी माँ नज़र आती हैं. क्यूंकि उसकी माँ की तरह अमीर बच्चे की आधुनिक माँ भी अधनंगी नज़र आती है.

बाबा दुल्हन और वह

पतझड़ में याद आते हैं  सूखे खड़खडाते पत्तों की तरह खांसते बाबा .   मेरी खिड़की से झांकता सूरज जैसे झिझकती शर्माती दुल्हन. मैंने उन्हें पहली बार देखा छत पर खड़े हुए दूर कुछ देखते हुए ढलते सूरज की रोशनी में उनके भूरे बाल गोरे चेहरे पर सोना सा बिखेर रहे थे मैं ललचाई आँखों से सोना बटोरता रहा तभी उनकी नज़र मुझ पर पड़ी आँखों में शर्म कौंधी वह ओट में हो गए इसके साथ ही बिखर गया सांझ में सोना.