बुधवार, 19 जून 2019

रोटी और डबलरोटी

गरीब की बेटी
बहुत भूखी थी
रोटी नहीं मिली थी
दो दिनों से। 

सामने के साहब की लड़की
खा रही थी
डबल रोटी
कई दिनों से। 

गरीब की बेटी लालच से देख रही

साहब की लड़की ने फेंक दी
डबल रोटी

लपक ली
उसके बुलडॉग ने !

आजकल


आजकल

आसमान पर

बादल गरजते हैं 

नेताओं की तरह।

सरल

आजकल

जितना कठिन है

सच को सच मानना

उतना ही सरल है

झूठ को सच बना देना।

मरने से पहले

कभी सोचता है आदमी !

मर जाने के बाद -
कहाँ जाएगा ?

कैसी जगह होगी ?

मेरे पास क्या होगा ?

कौन मिलेगा वहाँ ?
कौन होगा अपना,
कौन पराया ?

तब क्यों सोचता है ?
मरने से पहले,

कहाँ ! कैसे !! क्या और कितना !!!

अपना और पराया !

बुधवार, 12 जून 2019

इंतज़ार

बड़ी देर तक
इंतज़ार करते रहे वह
मेरी घड़ी बन्द थी
मैं समय का इंतज़ार करता रहा । 

बदनामी

तुम चाहते तो
परिचय
मॉंग सकते थे मेरा ।
पर तुमने ठीक समझा
 बदनाम करना मुझे । 

काला धन, कन्या धन


पिता ने जमा कर दिया था

काला धन

गरीब के

जन धन में

अमीर की बेटी के लिए

बन गया कन्या धन

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...