शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

समुद्र- पांच क्षण

छलक आईं
मेरी ऑंखें
समुद्र के किनारे
पास चला आया
समुद्र
मुझे समझाने .

२-
याद आ गया
गुज़रा ज़माना
आ गया
समुद्र में
ज्वार.

३-
नीला समुद्र
भूरा आसमान
मेरे पास
और आसमान पर
चाँद
ज्वार आ गया.

४-
रूठी
चली गयी

रेत की तरह
फिसल गयी

५-
मैं बैठा रहा
समुद्र के किनारे
तुमने डुबकी लगाई
तुम मोती ढूंढ लाये
मैं खारा हो चला .


शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2013

निरंकुश कलम

कुछ  लोग
कुछ भी लिख डालते है
बिन सोचे विचारे
क्योंकी,
उनके हाथ  में  कलम है
वह  इसका
 जैसा भी चाहे इस्तेमाल कर सकते है
नही  सोचते कि,
निरंकुश कलम
तलवार को मौका देती है
काट ने  का गरदनो के साथ
निरंकुश हाथ भी.

गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013

समंदर

बहुत थोड़ा जीवन है, आशाओं का समंदर
छोटी सी नौका है, तूफान का है मंजर ।
छोड़ के चल देते हैं, सवार इतने सारे
पार वही लगता है इंसान जो सिकंदर।
राजेंद्र कांडपाल
03 अक्टूबर 2013 
Bahut Thoda Jeewan hai, aashaaon ka samandar,
chhoti sii nauka hai, toofan ka hai manjar.
chhod ke chal dete hain, sawaar itane saare,
paar wahii lagata hai insaan jo sikandar.
Rajendra Kandpal
03 October 2013

बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

नेता जी

नेता जी,
कल जब आप
जेल में होंगे
फटे मैले कंबल के बिस्तर पर
लेटे होंगे।
आम हिन्दुस्तानी की तरह
तालियाँ बजाते हुए
मच्छर मारते
आपकी रात गुजरेगी
खटमलों के आक्रमणों से
आपकी कोमल त्वचा
आपको घायल लगेगी ।
पतली दाल,
घास फूस से बनी सब्जी
और रोटी
दलिया और चाय का नाश्ता
आपको देगा
जनता का वास्ता
जिन्होने कभी आप के लिए
ऐसे ही तालियाँ मारी थीं
और बदले में आपने !
छीना था उनका नाश्ता
मच्छरों और खटमलों की तरह
चूसा था उनका खून
आज शायद आप
इसे समझ पाये हों कि
आपके भ्रष्टाचार ने
देश को बना दिया है
आपको मिली
जेल से ज़्यादा
गंदी, भ्रष्ट और नारकीय जेल 
इसलिए
हे नेताजी
आप इसी जेल में रहना
बाहर न आना
देश को अब और
नरक नहीं बनाना  !

http://mail-attachment.googleusercontent.com/attachment/?ui=2&ik=136e54ebdd&view=att&th=141a774765465de5&attid=0.1&disp=inline&realattid=f_hmndr7lj0&safe=1&zw&saduie=AG9B_P83I_uKDyjMONkv8T_YiKvK&sadet=1381498447909&sads=_fk0oBxhGtjWSy-MeVb8Kj0gh_Q

बुधवार, 25 सितंबर 2013

अनुभूति २० मई २०१३


मैने नीम से पूछा
 

 
मैंने नीम से पूछा-
तू इतनी कड़वी क्यों है?
जबकि, तू
सेहत के लिए फायदेमंद है।
नीम झूमते हुए बोली-
अगर मैं कड़वी न होती
तो, तुझे
कैसे मालूम पड़ता
कि कड़वेपन के कारण
सेहतमंद नीम की भी
कैसे थू थू होती है.

-राजेन्द्र कांडपाल
२० मई २०
१३

अनुभूति 17 june 2013

गंगा- कुछ क्षणिकाएँ
 




गंग जमुन की बहती धार
प्यास बुझाए
खेत हजार
अन्न लहलहाए
सींचे धरती बारम्बार

-मंजुल भटनागर



खिल खिल करती
मचलती, खेलती
आह्लादित उर्मियों को
अपने सीने पर
बच्ची सी चढ़ाये, चिपकाए
मस्ती में झूमती, इठलाती
बहने वाली गंगा
खो गयी है
जाने कहाँ ?

-अनिल कुमार मिश्र



गंगा है
माँ की माँ
तभी तो
समा जाती है
गंगा की गोद में
एक दिन माँ भी।

-राजेंद्र कांडपाल



इस देश की बुद्धिमत्ता
कुम्भकर्ण की नीद सो रही है
उसे पता ही नहीं
कि गंगा बीमार हो रही है

-त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१७ जून २०१३

शनिवार, 7 सितंबर 2013

खामोशी

 जहां लोग
आपस में नहीं बोलते
वहाँ,
खामोशी बोलती है
चीखती हुई
इतनी, कि
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ सुनाई नहीं पड़ता।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...