शनिवार, 7 सितंबर 2013

खामोशी

 जहां लोग
आपस में नहीं बोलते
वहाँ,
खामोशी बोलती है
चीखती हुई
इतनी, कि
कान बहरे हो जाते हैं
कुछ सुनाई नहीं पड़ता।

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