सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

यह कैसी दूरियां !

उस दिन बेटी को  ऑफिस से कन्फर्मेशन लेटर मिला था। दो तीन दिन से घर का माहौल टेंस था।  ऐसा लगा कि ऑफिस में सब कुछ ठीक नहीं है। कदाचित इसलिए तनावपूर्ण वातावरण स्वाभाविक भी था।  ऐसे में कौन अप्रभावित रह सकता है! माँ भी अछूती नहीं थी।  माँ , अपनी बेटी के साथ , पति की इच्छा के विरुद्ध अपना प्रदेश , अपना नगर छोड़ कर , प्रदेश प्रदेश , नगर नगर साथ साथ या पीछे पीछे चल रही थी।   बेटी के जीवन को सुगम और सुचारु चलाने के लिए।   ऐसे में बच्चों से अपेक्षाएं भी हो जाती है।   यहाँ बता दूँ कि बेटी विवाहित थी।   एक बेटी की माँ।   आठ साल की बेटी।   स्कूल जाने वाली। माँ इन सब को सम्हाले रहती।   अस्वस्थता और शारीरिक कष्ट के बाद भी चौका बर्तन सम्हाले रहती।   नातिन को पुचकारती , सम्हालती , स्कूल के लिए तैयार करती।   ऐसे में स्वाभाविक था कि दूसरी ओर से भी अपेक्षाएं   होना   ।   उस दिन बेटी को कन्फर्मेशन मिला। उस दिन   वह घर आई।   खाना खाया। और   पति और बेटी के साथ घर से बाहर निकल गई।   पैर का कष्ट झेल रही...

गिनते रहें दिन!

2022 मे कितने महीने थे?  12 । 2022 में कितने सप्ताह थे?  52 ।  2022 मे कितने दिन थे? 365 ।  प्रत्येक माह मे कितने दिन थे?  जनवरी,  मार्च, मई,  जुलाई,  अगस्त, अक्टूबर और दिसम्बर में 31। फरवरी मे 28। अप्रैल,  जून, सितंबर और नवंबर मे 30। और सप्ताह मे कितने दिन ?  7।  एक दिन में कितने घंटे होते है।  24। हर घंटे मे कितने मिनट?  60।  हर मिनट मे कितने सेकंड ?  60।  पर जानना क्या चाहते हो तुम?  भाई मेरे यही कि  पूरे साल दिन गिनते रहे  जिए कब तुम। 

विडंबना

इतिहास में दर्ज हो गया  वह जिसे इतिहास न भाया  कभी ! २  गणित का अध्यापक  कक्षा में पढाता था तिथियाँ गिनता  बटुआ खोलता  घर में ! ३  डॉक्टर 

शिकारी!

पेड़ पर  शेर की छलांग से परे  सुरक्षित दूरी पर  मचान लगा कर  शेर का शिकार करता हूँ  बंदूक के सहारे । फिर भी  शेर शिकार है  और मैं शिकारी। 

चिट्ठी

अब चिट्टी नहीं आती  मैं किसी को नहीं लिखता  कोई मुझे पोस्टकार्ड नहीं भेजता  अंतर्देशीय का प्रश्न नहीं  लिफ़ाफ़े! जन्मदिन और वैवाहिक शुभकामनाओं तक  मैं कंप्युटर गाय हूँ  मेल भेजता हूँ  उत्तर मिल जाता है  कुछ मिनट या घण्टों में  पर ऐसे छूट जाते है  जो कंप्युटर गायज नहीं  क्योंकि मैं पत्र नहीं लिखता  मैं कंप्युटर गाय हूँ. 

महानगर

अभी यह महानगर सोया है  जागेगा  भागेगा  जीवन जीने को होड़  इसे दौड़ाएगी यह क्लांत नहीं होगा  अशांत नहीं होगा  रुकेगा नहीं  ठोकर खा कर भी  क्योंकि वह जानता है  एक दिन  जीवन देगा ठोकर  घायल होगा जीव  पर यह महानगर  रुकेगा नहीं,  थकेगा  इसी का नाम जीवन  महानगर अभी सोया है,  बस!