अभी यह महानगर सोया है
जागेगा
भागेगा
जीवन जीने को होड़
इसे दौड़ाएगी
यह क्लांत नहीं होगा
अशांत नहीं होगा
रुकेगा नहीं
ठोकर खा कर भी
क्योंकि वह जानता है
एक दिन
जीवन देगा ठोकर
घायल होगा जीव
पर यह महानगर
रुकेगा नहीं, थकेगा
इसी का नाम जीवन
महानगर अभी सोया है, बस!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें