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प्यार (कविता) नेशनल दुनिया ०१ जुलाई २०१४ अंक में प्रकाशित

दांत, बच्चे और कोख

मैं बबूल हूँ मेरे नज़दीक रहो कांटे चुभेंगे स्वाद में कड़वा हूँ फिर भी सलामत रहेंगे तुम्हारे दांत ! २- जीत रहा था मैं फिर भी हार गया  क्योंकि, उन्हें हारना पसंद नहीं बच्चे ऐसे ही होते हैं. ३-  कोख किराये की नहीं होती कोख माँ की होती है.

दर्द

उफ्फ! सांप काटता है तड़पता है कुछ तो बात है आदमी में. २- जो उतारता है ज़हर   कितना होगा उसमे ज़हर ! ३- नींद सपना और आँखें पहले कौन! ४- धूमकेतु राजनीति के हैं बहुतेरे  पूंछ हिलाते हुए . ५- माँ का दर्द महंगाई नहीं भ्रष्टाचार है जेब भर लाता है रोज बेटा .

बेटे तो बेटे होते हैं

बेटे तो बेटे होते हैं एक माँ सुबह उठ जाती बेटे के लिए नाश्ता बनाती उसे जगाती नहलाती धुलाती बस्ते में टिफ़िन रख कर स्कूल बस तक छोड़ आती एक दूसरी माँ बेटे को अलार्म घडी से जगवाती उसका नाश्ता रात में सैंडविच बना कर रख देती बेटे को अलार्म घड़ी उठाती बेटा नहा कर स्कूल चला जाता बेटे तो बेटे होते हैं बेटे पढ़ लिख गए बड़े आदमी बन गए पर माँ के लिए ' बेटे तो बेटे होते हैं इसलिए, दोनों बेटो ने अपनी अपनी  माँ को घर से निकाल दिया क्योंकि, बेटे तो बेटे होते हैं.

पिता की उंगली

आज पहली बार मुझे एहसास हुआ पिता के न होने का ठोकर लगी मैं लड़खड़ाया घुटनों के बल गिर पड़ा क्योंकि, थामने को नहीं थी पिता की उंगली .