शनिवार, 15 जून 2013

बारिश में नाव

याद आ गया बचपन
भीग गया तन मन
बारिश  में।
बादलों की तरह
घर से निकल आना
मेघ गर्जना संग
चीखना चिल्लाना
नंगे बदन सा मन
भीग गया
बारिश में।
कागज़ की नाव का
नाले में इतराना
दूर तलक हम सबका
बहते चले जाना
अब तो बाल्कनी से
देखते हैं
बारिश में।
अपनी नाव के संग
दौड़ हम लगाते
डूबे किसी की  नाव
सभी खुश हो जाते
कहाँ दोस्त, नाव कहाँ
अकेले खड़े हम
बारिश में।






किसान

मिट्टी को गोड़ कर
घास को तोड़ कर
खेत बनाता है
किसान।
खाद को मिलाता है
खेत को निराता है
श्रम का पसीना
इसमे बहाता है
बीज का रोपण  कर
पौंध बनाता है
किसान।
सुबह उठ जाता है
खेतों पर जाता है
श्रम उसका फल जाये
मन्नत मनाता है
पौंधा खिलने के साथ
खुश हो जाता है
किसान।
श्रम का प्रतीक है
जीवन का गीत है
आस्थाओं से अधिक
पौरुष का मीत  है
हर कौर के साथ
याद हमे आता है
किसान।


गुरुवार, 13 जून 2013

चुभन

कांटे अगर फूल होते
धूप से मुरझा जाते,
तेज़ हवा से बिखर जाते
ज़मीन पर गिर कर
पैरों की ठोकर पाते
पर/कांटे-
पूरी बहादुरी से
धूप और हवा का मुकाबला करते हैं
मुरझाते नहीं
कभी ज़मीन पर नहीं गिरते/मसले नहीं जाते
 लेकिन, इसके बावजूद 
बहादूरों की प्रेरणा  कांटे
बदनाम हैं
क्योंकि,
वह चुभते हैं।

शनिवार, 8 जून 2013

गंगा, मेरी माँ!

माँ
और गंगा जल
समाता है
जिनकी गोद में
आदमी।

2
गंगा
और माँ
एक पवित्र
दूसरी पतिव्रता।

3
गंगा माँ
और माँ
सब याद करें
दुख में।

4
माँ कहाँ
गंगा में प्रदूषण
सबने कहा
गंगा मर गयी।

5
गंगा
और माँ
जीवनदायनी।

6
हिमालय से निकली गंगा
शिव ने समेटा
घर से विदा हुई माँ
पति ने स्वीकारा
फिर दोनों ने छोड़ दिया
बच्चों के पालन के लिए।

7
गंगा है
माँ की माँ
तभी तो
समा जाती है
गंगा की गोद में
एक दिन माँ भी।

8
गंगा और माँ में अंतर
एक में फेंकते हैं कचरा
दूसरी को समझते हैं
कचरा ।

9
गंगा सूख रही है
माँ मर गयी है
हम कह रहे हैं
कहाँ हो माँ!

10
जहां गंगा बहती है
जहां माँ रहती है
वहीं बसता है
जीवन।











उन्हे टूटना होता है

जो फसलें
हरी होती हैं
उन्हे पकना होता है
जो पक जाती हैं
उन्हे कटना होता है
बिना फलों का पेड़
तना होता है
फलदार पेड़ों को
झुकना होता है।
खासियत इसमे नहीं
कि आप
हरे हैं या तने हैं
जो दूसरों के काम आए
उसे मिटना होता है।
जो खामोश रहते हैं
वह बुत होते हैं
वक़्त बीतते ही
उन्हे टूटना होता है।

गुरुवार, 6 जून 2013

बरसना

मेघों ने चाहा था
धरती पर बरसना
पर
पानी बन कर
बह गए।

2
बचपन में
जब मैं गिरता था
माँ की आँखों में
करुणा बरसती थी
जबसे /बड़े होकर /मैंने
गिरना शुरू किया है
माँ की आँखों से
आंसुओं की गंगा बहती है।

3
ज़रूरी नहीं कि झुंड में
भेड़िये ही मिले
झुंड में लुटेरे भी चलते  हैं ।
लूट एक जशन  है
नेताओं का टशन है
खरीदारों की बस्ती में
बाज़ार ए हुस्न है।

4


 

सोमवार, 3 जून 2013

बाबू जी की सांस

बाप मर गया था शायद
बेटे ने निकट आकर
पहले धीमे से पुकारा
फिर ज़ोर से आवाज़ दी-
बाबू जी...बाबू जी।
बाबू जी की बंद पलकें नहीं काँपी
कृशकाय शरीर में
कोई थरथराहट नहीं हुई
फिर बेटे ने
बाबूजी की नाक के आगे हाथ रख दिया
हाथ को साँसों की गर्मी महसूस नहीं हुई
फिर भी
हाथ नहीं हटाया
मानो विश्वास कर लेना चाहता हो
कि, सांस चल रही/या बंद हो गयी
जब विश्वास हो गया
तब बेटे ने
पत्नी के पास जाकर कहा-
सांस बंद हो गयी है
सुन कर
पत्नी ने भी पति की तरह
चैन की सांस ली।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...