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संदेश

ऊन उलझी

जाड़ों  में एक औरत स्वेटर बुनती है । फंदा डालना है फंदा उतारना है अधूरे सपनों को इनसे संवारना है हरेक स्वेटर में ज़िंदगी गुनती है। जाड़ा आता है जाड़ा चला जाता है जिसने कुछ ओढा हो उसे यह भाता है। गुनगुनी धूप से भूख कहाँ रुकती है। जिंदगी की स्वेटर में डिजाइन कहाँ उलझी हुई ऊन से सब हैं यहाँ ऐसी ऊन से माँ सपने बुनती है ।

स्वेटर

जाड़ों में स्त्रियाँ स्वेटर बुनती नज़र आती हैं धूप में बैठी हुई बात करती तेज़  गति से सलाई चलाती एक फंदा सीधा, एक उल्टा या कुछ फंदे सीधे और कुछ उल्टे या फिर ऐसे ही गणित के साथ डिजाइन बनाती हैं। स्वेटर लड़की के लिए भी बन रही है और लड़के के लिए भी लेकिन लड़का पहले है कुल का चिराग है कहीं ठंड न लग जाये लड़के की स्वेटर की ऊन भी नयी है लड़की के लिए मिक्स है। लड़के की स्वेटर के डिजाइन में खूबसूरत फूल हैं हाथी घोड़े और चढ़ता सूरज है लड़की के स्वेटर में एक दुबली सी लड़की की डिजाइन है डिजाइन वाली लड़की न जाने हंस रही है या रो रही है मगर स्वेटर पूरी होने को है।  निश्चित रूप से पूरी स्वेटर देख कर पुलक उठेगी मुनिया पिछले जाड़ों में तो छेद वाली ही स्वेटर नसीब हुई थी न!

दरख्त जैसे मकान

मेरे शहर में ऊंचे ऊंचे दरख्तों जैसे एक के ऊपर एक चढ़े मकान होते हैं  जिनके सामने ऊंचे दरख्त भी बहुत छोटे लगते हैं कभी कबीर ने कहा था - बड़ा भया तो क्या भया/ जैसे पेड़ खजूर / पंथी को छाया नहीं / फल लागे अति दूर । मेरे शहर के इन गगनचुंबी दरख्तों पर फल तो लगते ही नहीं  छाया क्या खाक देंगे दरख्तों को काट कर बने मकान।

सबक

मरे जानवर की खाल से बना जूता काटता है पहनने वाले को /परेशान करने की अपनी क्षमता का पता बताता है अगर ज़िंदा आदमी ऐसा कर सकता है तो मरे का काम ही किया ना! यही जूता अगर उल्टे पाँव में पहनो तो तत्काल/एहसास करा देता है कि उल्टा पहन लिया तब आदमी जूते से सबक लेते हुए सीधा काम क्यों नहीं करता!  

कौव्वा

कभी हमारे घर की मुंडेर पर कौव्वा आ बैठता था। जब वह कांव कांव करता तो आ आ का आभास होता  हम बच्चे उसे उड़ाने लगते पत्थर फेंक कर/तब माँ कहती- बेटा, ऐसा न कर मेहमान घर आने वाला है कौव्वा उनके आने का संदेश दे रहा है आज घर है मुंडेर नहीं कौव्वा बैठे भी तो कहाँ क्या/शायद इसीलिए हमारे घर कोई मेहमान नहीं आता?

डरा बच्चा

बच्चा बिछुड़ गया है/अपनी माँ से कैसे/ कैसे छूट गया हाथ बच्चे का/ माँ से कैसे/ कैसे हो सकती है /असावधान माँ सोच रहा है बच्चा डर रहा है बच्चा डरा रहा है परिचित चौराहा चिरपरिचित राह भयभीत है कहाँ गयी माँ मुझे छोड़ गयी माँ या लौट कर आएगी माँ हा माँ! आ माँ!! कहाँ छोड़ गयी माँ!!! चार राहों के बीच असुरक्षित, भयभीत और असहाय बच्चा रो रहा है! रो रहा है!! रो रहा है!!!

विदाई

एक रोती लड़की से मैंने कहा- तू पैदा हुई तब रो रही थी। जब विदा हो रही थी तब भी रो रही थी। फिर पूछा- आज जब माँ बनने वाली है तब भी तू रो रही है? लड़की रोती रही/बोली- पैदा होते समय तू भी रोया होगा पर मेरे भाग्य में तो पग पग रोना लिखा है पिता पढ़ाने में रोया शादी के समय दहेज देने में रोया सही है कि मैं विदा के समय भी रोयी और आज भी रो रही हूँ क्योंकि मुझे आज भी रोना है और कल भी। कल बेटी विदा होगी तब  रोटी लेकिन मुझे आज ही रोना होगा डॉक्टर के यहाँ जाना है क्योंकि मेरे पति बेटी को आज ही विदा करना चाहते हैं।