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संदेश

महाकवि

मैंने लिखी कुछ पंक्तियाँ उन्हें नाम दिया कविता उन्हें छपने भेजा वह छपीं प्रशंसा मिली मैं कवि बन गया था। मैंने और कविताएँ लिखीं वह भी छपीं इस बार प्रशंसा और पुरस्कार भी मिले मैं खुशी और एहसास से फूल उठा मैं बड़ा कवि बन गया था अब मैं कविता नहीं लिखता अब मैं लिखी कविताओं की आलोचना करता हूँ कवि सम्मेलनों में कवि पाठ करता हूँ। क्यूंकि मैं अब कवि नहीं रहा अब मैं महाकवि बन गया हूँ।

आँखों की बदसूरती

कुछ चेहरों के साथ ऐसा क्यूँ होता है कि वे बेहद बदसूरत होते हैं इतने कि लोग उन्हें देखना तक नहीं चाहते उन संवेदनाओं को भी नहीं जो उस चहरे पर जड़ी दो आँखों में है जिनसे उस बदसूरत चेहरे के अन्दर झाँका जा सकता है, उस दिल में छिपी निश्छलता को भांपा जा सकता है. ऐसा क्यूँ होता है हमारी दो आँखों से बदसूरती से मुंह मोड़ लेतीं हैं आँखों से शरीर के अंदर झांक कर बेहद करुणा, दया, ममता और मैत्री से भरा हृदय नहीं देख पातीं हैं. काश ऑंखें केवल देख नहीं महसूस भी कर पाती तब देख पाती असली सुन्दरता.

साँवली

मोलहू की बेटी सांवली का रंग सांवला था. शायद इसी रंग के कारण मोलहू ने उसका नाम सांवली रखा था. वैसे सांवली के रंग को सांवला नहीं कहा जा सकता. काफी पका हुआ था उसका रंग. बिलकुल दहकते तांबे के बर्तन  जैसा. नाक नक्श तीखे थे. आँखों के लिहाज़ से उसे मृगनयनी कहा जा सकता था. कुल मिला कर बेहद आकर्षक लगती थी सांवली. एक दिन कुछ दिलफेंक लड़कों ने कह भी दिया था , '' आये हाय ! बिपाशा बासु. '' सांवली फ़िल्में नहीं देख पाती थी. कभी गाँव के किसी अमीर के घर जहां माँ काम करने जाती थी , देख लिया तो बात दूसरी है. यह इत्तेफाक ही था की सांवली ने बिपाशा बासु की एक फिल्म इसी प्रकार से  देखी भी थी. उसे अच्छी तरह से याद है बिपाशा बासु को देख गाँव के लौंडे तो काबू में रहे थे , लेकिन काफी बुड्ढों को सुरसुरी जैसी लग रही थी. अजीब आवाजें निकल रही थी. इनका मतलब न समझ पाने के बावजूद सांवली को शर्म लगी थी. लेकिन जब गाँव के लड़के उसे सेक्सी और बिपाशा कह कर पुकारते तो उसे महसूस होता कि वह बहुत ज्यादा खूबसूरत है. सेक्सी का इससे बड़ा अर्थ जानने की ज़रुरत उसने महसूस भी नहीं की थी. उसे अच्छा लगता जब गाँव के ज...

धूप उदास

धूप का एक छोटा टुकड़ा घर की दीवार चढ़ कर झांकता है और फिर धीमे से उतर आता है आँगन में दिन भर पसरा रहता है माँ के गठिया वाले घुटनों को सहलाता कभी बच्चों के बालों से खेलता  और गालों को थपकाता पीठ पर चढ़ जाता है बच्चे पकड़ने की कोशिश करते वह हाथ से फिसल जाता गेंहू पछोरती पत्नी को देखता सूप पर उछलते गिरते दानों को छूता रस्सी पर फैले गीले कपड़ों को नम करता, सुखाता घर में आते जाते लोगों को चुपचाप देखता बिन बुलाये मेहमान की तरह. तभी तो शाम को बच्चे बिना उसे कुछ कहे घर के अन्दर चले जाते उसका चेहरा पीला पड़ जाता वह उदास सा घर से निकल जाता कल फिर से आने को.

भ्रष्टाचार का क्रूर क्षेत्र

लोगों को लगता है कि मैं मार दिया गया हूँ. उन्होंने तैय्यारी शुरू कर दी है मेरे स्मारक या बुत बनाने की क्यूंकि यही एक ऐसा तरीका है जिससे किसी विचार या व्यक्तित्व को एक स्थान तक सीमित क्या जा सकता है उसे लोग देख सकते हैं पर उस पर विचार नहीं कर सकते वह नहीं चाहते कि कोई मुझ पर विचार करे मेरे सन्देश पर बहस करे क्यूंकि उन्होंने मुझे महाभारत के अभिमन्यु की तरह चारों और से घेर कर तीरों और तलवारों से बींधा है मेरा अंग अंग क्षत विक्षत किया है जब मैं गिर गया कुछ समय तक मेरी दूसरी सांस नहीं लौटी तो उन्होंने समझ लिया कि मैं मर गया हूँ वह जय घोष करने लगे . लेकिन मैं फीनिक्स की तरह जी उठूंगा मैं वापस आऊँगा इस संग्राम का हिस्सा बनने क्यूंकि विचार या व्यक्तित्व मारे नहीं जा सकते उन्हें कुछ पल के लिए निश्चेष्ट किया जा सकता है लेकिन निष्क्रिय या निर्जीव नहीं. यह शरीर में मर कर हवा में घुल जाते हैं, मिटटी में सांस लेते हैं और फिर बीज बन कर नया पौंधा बन जाते हैं. इसलिए मैं ज़रूर आऊँगा फीनिक्स की तरह. अभिमन्यु बन कर भ्रष्टाचार के क्रूर क्षेत्र में लड़ने. ...

खुशियां

मैं खड़ा रहा लोग आते गए रंग लगाते गए. जो लगा जाते दूर खड़े हो कर मेरा चेहरा देख कर हंसते- देखो, कैसा बन्दर बना दिया है. मैं उनकी इस खुशी पर दूना खुश हो रहा था. मैं उन्हें कैसे बताता कि मेरे चेहरे पर लगे रंग वह खुशियाँ हैं, जो दोनों हाथ लुटाई गयी हैं.

साली होली

मैंने पत्नी से कहा- आओ खेलते हैं होली! वह इठलाते हुए बोली- मैं तो आपकी तीस साल पहले ही हो ली !!! 2- लोग पता नहीं क्यूँ साली के साथ खेलते हैं होली? क्यूँ नहीं खेलते पत्नी के साथ होली जो पूरे साल बिखेरती हैं आँगन में रंगोली!!! 3- मैं पत्नी को कहता हूँ साली। वह पलट के देती है मुझे यह गाली- धत्त, बड़े वो हो जी!!! 4- क्यूँ होती है साली आधी घरवाली क्यूंकि घर तो पूरा करती है घरवाली। 5- साली जीजा को जी 'जा'  कह कर भगाती है। और अपने उनको ऐ जी कह कर बुलाती है।