सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भ्रष्टाचार का क्रूर क्षेत्र

लोगों को लगता है कि
मैं मार दिया गया हूँ.
उन्होंने तैय्यारी शुरू कर दी है
मेरे स्मारक या बुत बनाने की
क्यूंकि
यही एक ऐसा तरीका है
जिससे किसी विचार या व्यक्तित्व को
एक स्थान तक सीमित क्या जा सकता है
उसे लोग देख सकते हैं
पर उस पर विचार नहीं कर सकते
वह नहीं चाहते कि कोई मुझ पर विचार करे
मेरे सन्देश पर बहस करे
क्यूंकि
उन्होंने मुझे
महाभारत के अभिमन्यु की तरह
चारों और से घेर कर
तीरों और तलवारों से बींधा है
मेरा अंग अंग क्षत विक्षत किया है
जब मैं गिर गया
कुछ समय तक मेरी दूसरी सांस नहीं लौटी
तो उन्होंने समझ लिया
कि मैं मर गया हूँ
वह जय घोष करने लगे .
लेकिन मैं
फीनिक्स की तरह जी उठूंगा
मैं वापस आऊँगा
इस संग्राम का हिस्सा बनने
क्यूंकि
विचार या व्यक्तित्व मारे नहीं जा सकते
उन्हें कुछ पल के लिए
निश्चेष्ट किया जा सकता है
लेकिन निष्क्रिय या निर्जीव नहीं.
यह शरीर में मर कर
हवा में घुल जाते हैं,
मिटटी में सांस लेते हैं
और फिर बीज बन कर
नया पौंधा बन जाते हैं.
इसलिए मैं ज़रूर आऊँगा
फीनिक्स की तरह.
अभिमन्यु बन कर
भ्रष्टाचार के क्रूर क्षेत्र में लड़ने.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तनाव

जब तनाव अधिक होता है न  तब गाता हूँ  रोता नहीं  पड़ोसी बोलते हैं-  गा रहा है  मस्ती में है  तनाव उनको होता है  मुझे तनाव नहीं होता। 

अंततः अश्व: तीन हाइकु

अश्व की शक्ति  मनुष्य का मस्तिष्क  घर मे बंधा।  2  अश्व की गति  मनुष्य से स्पर्द्धा मे   कोसों दूर है । 3  अश्व की निष्ठा  मानव का विश्वास  अश्व विजयी। 

कर्ज़ से छुटकारा

19 जून 2023। यह वह दिन है, जिस दिन मैं एक कर्ज से उबर गया। यह वह कर्ज था, जो मुझ पर जबरन लादा गया था। इस कर्ज को न मैंने माँगा, न कभी स्वीकार किया। फिर भी यह कर्ज 40 साल तक मुझ पर लदा रहा। इसकी वजह से मैं अपमानित किया गया। मुझे नकारा बताया गया। यह केवल इसलिए किया गया ताकि मेरे परिवार पर एहसान लादा जा सके। मेरी पत्नी को 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर लिख कर दिया गया कि मकान तुम्हारे पति के नाम कर दिया गया है। यह काग़ज़ के टुकड़े से अधिक नहीं था। पर कानूनी दांव पेंच नावाकिफ पत्नी समझती रही कि मकान हमे दे दिया गया। वह बहुत खुश और इत्मीनान से थी। उसने, यदि मुझे काग़ज़ का टुकड़ा दिखा दिया गया होता तो मैं उसे हकीकत बता देता। पर उसे किसी को दिखाना नहीं, ऐसे समझाया गया, जैसे गुप्त दान कर दिया गया हो। सगे रिश्तों का यह छल असहनीय था। इसे नहीं किया जाना चाहिए था। एक मासूम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए था।  पर अच्छा है कि यह कर्ज 40 साल बाद ही सही, उतर गया। अब मैं आत्मनिर्भर हो कर, सुख से मर सकता हूँ। पर दुःख है कि भाई- बहन का सगा रिश्ता तार तार हो गया। अफ़सोस, यह नहीं ...