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संदेश

काश

आसमान पर  ऊंचे, ऊंचे और बहुत  ऊंचे उड़ते हुए पंछियों को कोई कुछ नहीं कहता. मगर लोग मुझसे कहते हैं-  बहुत उड़ रहे हो, इतना ऊंचा न उड़ो  नहीं तो गिर जाओगे. जंगल में स्वछन्द विचरते कूदते फांदते पशुओं को कोई मना नहीं करता  पर लोग मुझसे क्यूँ कहते हैं इतना स्वछन्द क्यूँ विचरते हो अपनी ज़िम्मेदारी समझो, इतनी लापरवाही ठीक नहीं . ऐसे में  मैं सोचता हूँ- काश मैं खुले आसमान के नीचे जंगल में होता.

यह बड़े

               एक पार्क में छोटे बच्चे पार्क में खेलते हैं. उनके बड़े उनसे दूर बैठ कर, गपियाया करते हैं .  कभी कभी चिल्ला देते हैं- यह न करो, लड़ों नहीं, यह गन्दी बात है, मिटटी में क्यूँ लोट रहे हो ? आदि आदि, न जाने क्या क्या .  मुझे समझ में नहीं आता, यह बड़े दूर बैठ कर बच्चो को उपदेश क्यूँ देते हैं? उनकी तरह लड़ते हुए, मिटटी में लोटते और सब कुछ करते हुए खेलते क्यूँ नहीं ?

मेम और फादर

                मैम और फादर ओ मेरे मास्टर जी, हम छात्र तुम्हे मास्टर जी कहते थे, टीचर जी नहीं. इसके बावजूद तुमने हमें टीच भी किया.  इसी टीच यानि शिक्षा का परिणाम है कि मैं ईमानदारी से नौकरी कर सका, निष्ठा से अपना काम कर सका मेहनत करके जन सेवा की. पर अब कोई,  मास्टर या मास्टरनी नहीं . अब फादर या मैम हैं, जो सिखाते हैं- बच्चों आपसे कोई बड़ा नहीं, आप सभी के फादर यानि बाप हो, कोई हम नहीं  सभी 'मैं' हैं जिनके आगे 'मैं' लगा हो, वह मैम और क्या सिखाएंगी. इसीलिए, आज मैं की संख्या ज्यादा है, जनता के सेवक कम बाप ज्यादा हैं .

बादल का श्राप

              बादल का श्राप एक बार बेहद सूखा पड़ा, अनाज पैदा होना बंद हो गया . पानी के बिना धरती का सीना तक फट गया लोग दुआ करने लगे, आसमान की ओर हाथ उठा कर,  जार जार रोने लगे . यह देख, आसमान द्रवित हो उठा. उसने बादल को बुलाया धरती पर बरसने की आज्ञा दी.  बादल पानी बरसाने लगा, पानी इतना बरसा, इतना बरसा की बाढ़ आ गयी.  धरती  जलमग्न हो गयी. मवेशी मरने लगे पहले घर डूबे, फिर लोग डूबने लगे प्रकृति का प्रकोप देख कर लोग बिलखने लगे, आसमान को कोसने लगे मनुष्य का ऐसा चरित्र देख कर आसमान ग्लानी से भर गया उसकी आँखों में, सतरंगी आंसूं झिलमिला रहे थे.  यह देख कर बादल  फूट फूट कर रोने लगा .

आंसुओं का खिलखिलाना

                      आंसुओं का खिलखिलाना मुझे रोते रोते खिलखिलाना अच्छा लगता है. तुम भी देखो ऐसा करके, सामने के तमाम दृश्य तुम्हारे आंसुओं के बीच से होते हुए, तुम्हारी खिलखिलाहट के साथ, झिलमिलाने लगते हैं.

गंदे बच्चे

                 गंदे बच्चे मैंने देखा, वह मैले कुचैले बच्चे गालियाँ बकते हैं, एक दूसरे की माँ बहन से नाता जोड़ते हैं . बिना यह जाने कि उस सामने वाले बच्चे की माँ भी उतनी ही ग़रीब और असहाय है, जितनी उसकी अपनी माँ. इसके बावजूद  वह बच्चे एक दूसरे की माँ बहन को बेईज्ज़त करते रहते हैं . क्यूंकि वह इतना तो अच्छी तरह से जानते हैं कि जिसकी माँ बहन की वह बेईज्ज़ती कर रहे हैं वह उतना ही कमज़ोर और असहाय है,  जितने वह खुद हैं.