शनिवार, 3 सितंबर 2011

आंसुओं का खिलखिलाना

                      आंसुओं का खिलखिलाना
मुझे रोते रोते
खिलखिलाना अच्छा लगता है.
तुम भी देखो ऐसा करके,
सामने के तमाम दृश्य
तुम्हारे आंसुओं के बीच से होते हुए,
तुम्हारी खिलखिलाहट के साथ,
झिलमिलाने लगते हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...