शनिवार, 6 नवंबर 2021

अनन्त आकाश

आकाश 

तुम अनन्त हो

शायद इसलिए

कि मैं तुम्हें

उस विस्तार तक देख नहीं सकता 

छू नहीं सकता 

अशक्तता मेरी 

अक्षमता मेरी 

मैं समझता हूँ 

तुम अनंत हो 

आकाश!

गुरुवार, 4 नवंबर 2021

क्योँ गाली खाया विराट कोहली?

कुछ लोग बीसीसीआई की टीम के कप्तान विराट कोहली को जूते पड़ने को लेकर दुखी नजर आ रहे हैं. उनके दुख पर कोई टिप्पणी न करते हुए बीसीसीआई के कप्तान पर मेरे विचार- 

कोहली के साथ गड़बड़ यह हुई कि इसने एक साथ कई मोर्चे खोल लिए. पहले 'दिवाली कैसे मनाए के टिप्स दूँगा' की दर्प भरी घोषणा की. फिर अगली ही बार पाकिस्तान के सामने 10 विकेट से समर्पण कर दिया. मैच हारते ही फील्ड पर पाकिस्तानी खिलाडियों को गले लगा लिया, एक खिलाड़ी के फील्ड पर नमाज पढ़ने को इग्नोर करते हुए. फिर यह जानते हुए भी कि शमी के विरुद्ध ट्वीट पाकिस्तान प्रायोजित हैं  सभी हिन्दुओं को साम्प्रदायिक बताते हुए  secularism का झंडा फहरा दिया.

भाई तू भारत का खिलाड़ी है या missionary मुल्ला! नहीं जानता कि सामान्य भारतीय क्रिकेट और हॉकी में खेलते हुए भी पाकिस्तान को दुश्मन देश ही समझते हैं. तूने उन सबके दिलों को रौंदते हुए बुरी तरह से मैच हारा, फिर मुस्कुराते हुए दुश्मन देश के खिलाड़ियों को गले लगाया. करेले पर नीम चढ़ा कि नमाज की साम्प्रदायिकता को दरकिनार कर अपने देश के लोगों को ही सांप्रदायिक बता दिया. तुम अगर खेल में साम्प्रदायिकता पसंद नहीं करते तो नमाज कैसे पसंद कर सकते हो! तुम्हें वहीँ उसकी आलोचना करनी चाहिए थी.

विराट कोहली को यह समझना होगा कि बेशक उसकी बीवी अनुष्का शर्मा एक मुस्लिम सुपर स्टार के साथ काम कर बड़ी अभिनेत्री बनी, पर यह उसका धन्धा था.  आम आदमी को इससे क्या सरोकार!

ऐसे में यह निस्तेज कप्तान गालियां खाएगा ही.

मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

जब विभागाध्यक्ष ने लिखा- अच्छा !

 


सेवा-काल का एक किस्सा


मेरे एक विभागीय निर्देशक ने मेरी चरित्र पंजिका में मेरा असेसमेंट करते हुए मुझे गुड यानि अच्छा लिखा.


यहाँ बता दूं कि राज्य सेवा में प्रोनत्ति का एक ऐसा दौर आता है, जब आपका गुड या सामान्य असेसमेंट किसी काम का नहीं होता. अगर आपको पदोन्नति लेनी है तो आउट स्टैंडिंग प्रविष्टि लेनी होगी. परन्तु, अगर आप अपने विभागाध्यक्ष के अनुसार आउट स्टैंडिंग काम नहीं करते तो वह आपको क्यों आउट स्टैंडिंग लिखेगा. मेरे विभागाध्यक्ष ने भी यही किया.


मैं विभागाध्यक्ष के पास गया. मैंने कहा- सर आपने तो मेरा अपमान कर दिया. मुझे अच्छा लिख दिया. सर मै या तो उत्कृष्ट हूँ या निकृष्ट नहीं बैड. आपको मेरा आकलन अच्छा नहीं करना चाहिए था. बैड लिख देते.


वह बिंदास बोले- अरे भाई, तुम लोगों को सजा देने के लिए बैड लिखने की क्या ज़रुरत है. अच्छा या सामान्य लिख दो. जन्म भर प्रमोशन नहीं होगा. बैड लिख देता तो आप जवाब देते, मुझे आपके जवाब का जवाब देना पड़ता. इतना झंझट कौन करता.


मुझे उनकी बेबाकी अच्छी लगी. मैंने कहा- इस साफगोई के लिए धन्यवाद सर. वैसे अगर आप मुझे बैड लिखते तो मैं वादा करता हूँ कि मैं आपके बैड एंट्री करवा देता. आपके तमाम कारनामे तो मेरे पास हैं.


जयहिन्द.

गुरुवार, 13 मई 2021

कोरोना से डरना मना है !

पत्नी डायबिटिक हैं. इसलिए उनका कोरोना पॉजिटिव होना खतरनाक हो सकता था. ऐसे समय में मुझे याद आ गई, सेवा काल के दौरान कानपूर में चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय की एक घटना. मैं उस समय लखनऊ से लोकल से जाया और आया करता था.


जैसी की यूनिवर्सिटी के कर्मचारी यूनियन और टीचिंग स्टाफ की आदत होती है, यह लोग अपना सही गलत काम करवाने के लिए भीड़ इकठ्ठा कर धमकाने और डरा कर काम करवाने की आदत रखते हैं. मेरे यूनिवर्सिटी में कार्यकाल के पहले हफ्ते में ही वहां की कर्मचारी यूनियन ने मेरा घेराव किया कि हमारे बिल छः महीने से रोक रखे गए है. मैंने कहा भी कि मुझे हफ्ते भर भी काम सम्हाले नहीं हुए हैं तो मैं कैसे छः महीने से बिल रोके रख सकता हूँ. पर उन्हें तो शोर मचाना ही था. वह चिल्लाते रहे. मैं ऊब गया तो मैंने कहा भैये, मैं ऐसे तो काम नहीं कर सकता. अब तुम्हे मारना कूटना है तो  मार कूट लो. पर घायल कर मत छोड़ना घायल शेर खतरनाक होता है.


बहरहाल, एक बार में ट्रेन से कानपूर जा रहा था. घर से फ़ोन आया कि तुम्हारी यूनिवर्सिटी से फ़ोन आया था कि साहब कहाँ हैं? यहाँ (यूनिवर्सिटी) न आये. मारे जायेंगे.


घर में इस धमकी से लोग डरे हुए थे. मैंने कहा चिंता न करो.


फिर में यूनिवर्सिटी पहुंचा. कार से उतरते ही मैंने ललकारते हुए कहा, "अब मैं आ गया हूँ. कौन मारना चाहता है, आओ मेरे सामने."


आधे घंटे तक ऑफिस के बाहर खडा रहा. कोई मारने नहीं आया. फिर क्या करता. कमरे में बैठ कर फाइल करने लगा.


यह किस्सा मुझे याद आया, जब हम लोग कोरोना से जूझ रहे थे. मैंने इस किस्से को याद करते हुए, खुद से कहा, मुझे जूझना है. कोरोना से डरना नहीं है. मैं डरूंगा तो यह पत्थर कॉलेज के कर्मचारियों की तरह मुझे गड़प कर लेगा. मैंने कोरोना को ललकारा. आज हम लोग कोरोना से जंग जीत चुके हैं.


आप भी डरिये नहीं. आप कोरोना से ज्यादा ताकतवर है. बस हम और आप डर जाते हैं. जो डर गया, समझो वह मर गया.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...