होली के रंग
साजन संग गोरी
लाल गुलाल।
2-
होरिया मन
कस्तुरी गंध फैली
होली आयी रे।
3-
पूर्ण चंद्रमा
होली जलाते लोग
कल होली है।
4-
उनींदा सूर्य
सिर चढ़ी भंग है
होली है भाई।
5-
रंगीन पानी
बूढ़ा भया जवान
होली मनाएँ।
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शनिवार, 16 मार्च 2013
बुधवार, 13 मार्च 2013
अंधे की सुंदरी
एक अंधा लड़का
आ खड़ा होता रोज ही
अपने घर की खिड़की पर
महसूस करना चाहता
अपनी नाक, कान और त्वचा से
प्रकृति को
पक्षियों का चहचहाना सुनना
ठंडी हवा के झोंकों के साथ
सुगंध- दुर्गंध का अनुभव करना चाहता
एक दिन,
उसके घर की खिड़की के
ठीक सामने की खिड़की खुली
एक खूबसूरत स्त्री आ खड़ी हुई
युवक को स्वर्गिक सुगंध की अनुभूति हुई
वह भरता रहा फेफड़ों में
वह स्वार्गिक सुगंध
रोज चलता रहा यह सिलसिला
एक दिन लड़की की दृष्टि
एकटक निहारते लड़के पर पड़ी
लड़के की बेशर्मी पर लड़की को थोड़ा क्रोध आया
उसने खिड़की बंद कर ली
फटाक से
लड़का अविचलित रहा
खिड़की बंद होने की आवाज़ कहाँ सुनाई दी थी उसे
दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ और उसके बाद के दिनों में भी
एक दिन
लड़की को मालूम हुआ
कि लड़का अंधा था
अब वह थोड़ा आश्वस्त हो गयी
अंधे के सामने वह कुछ हरकतें भी कर सकती थी
मसलन
बाल सुखाना, कंघी करना, सामने की ओर देख मुस्कराना
कभी शरारत से हाथ हिला देना भी।
लड़की सोचती
अभागा है यह अंधा
सामने खड़े अप्रतिम सौन्दर्य को
देख नहीं सकता, प्यार नहीं कर सकता
मेरी मुस्कराहट का प्रत्युत्तर नहीं दे सकता
पर अंधा लड़का
मुग्ध भाव से,
बिना इस अफसोस के
कि सुगंध का स्त्रोत
एक अप्रतिम सुंदर युवती थी,
उस स्वार्गिक सुगंध को
महसूस करता रहा,
अपने फेफड़ों में भरता रहा
प्रकृति का उपहार समझ कर।
आ खड़ा होता रोज ही
अपने घर की खिड़की पर
महसूस करना चाहता
अपनी नाक, कान और त्वचा से
प्रकृति को
पक्षियों का चहचहाना सुनना
ठंडी हवा के झोंकों के साथ
सुगंध- दुर्गंध का अनुभव करना चाहता
एक दिन,
उसके घर की खिड़की के
ठीक सामने की खिड़की खुली
एक खूबसूरत स्त्री आ खड़ी हुई
युवक को स्वर्गिक सुगंध की अनुभूति हुई
वह भरता रहा फेफड़ों में
वह स्वार्गिक सुगंध
रोज चलता रहा यह सिलसिला
एक दिन लड़की की दृष्टि
एकटक निहारते लड़के पर पड़ी
लड़के की बेशर्मी पर लड़की को थोड़ा क्रोध आया
उसने खिड़की बंद कर ली
फटाक से
लड़का अविचलित रहा
खिड़की बंद होने की आवाज़ कहाँ सुनाई दी थी उसे
दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ और उसके बाद के दिनों में भी
एक दिन
लड़की को मालूम हुआ
कि लड़का अंधा था
अब वह थोड़ा आश्वस्त हो गयी
अंधे के सामने वह कुछ हरकतें भी कर सकती थी
मसलन
बाल सुखाना, कंघी करना, सामने की ओर देख मुस्कराना
कभी शरारत से हाथ हिला देना भी।
लड़की सोचती
अभागा है यह अंधा
सामने खड़े अप्रतिम सौन्दर्य को
देख नहीं सकता, प्यार नहीं कर सकता
मेरी मुस्कराहट का प्रत्युत्तर नहीं दे सकता
पर अंधा लड़का
मुग्ध भाव से,
बिना इस अफसोस के
कि सुगंध का स्त्रोत
एक अप्रतिम सुंदर युवती थी,
उस स्वार्गिक सुगंध को
महसूस करता रहा,
अपने फेफड़ों में भरता रहा
प्रकृति का उपहार समझ कर।
शनिवार, 2 मार्च 2013
द्रौपदी
आज भी
द्रोपदी को
कामुक निगाहें घूरती हैं
लोग उसको नंगा होते देखना चाहते है।
पर
अब दुस्साशासन
द्रौपदी की चीर नहीं खींचता
इसका यह मतलब नहीं कि,
दुस्साशन सुधर गया है
बल्कि,
अब द्रौपदी
साड़ी नहीं, मिनी पहनती है।
द्रोपदी को
कामुक निगाहें घूरती हैं
लोग उसको नंगा होते देखना चाहते है।
पर
अब दुस्साशासन
द्रौपदी की चीर नहीं खींचता
इसका यह मतलब नहीं कि,
दुस्साशन सुधर गया है
बल्कि,
अब द्रौपदी
साड़ी नहीं, मिनी पहनती है।
मेघ
काले, घुमड़ते और गरजते
मेघ की तरह
तुम
किसी बच्चे को सहमा सकते हो,
डरा भी सकते हो
लेकिन, अगर
वह विचलित नहीं हुआ
तुम्हारी गर्जना से
बारिश की आशा से
प्रफुल्लित हुआ तो
तुम्हें
बरसाना ही होगा।
मेघ की तरह
तुम
किसी बच्चे को सहमा सकते हो,
डरा भी सकते हो
लेकिन, अगर
वह विचलित नहीं हुआ
तुम्हारी गर्जना से
बारिश की आशा से
प्रफुल्लित हुआ तो
तुम्हें
बरसाना ही होगा।
शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013
विडंबना
मैं देना चाहता हूँ
उन लोगों को
जन्मदिन की बधाइयाँ
जो अपना जन्मदिन नहीं मना पाते
जिन्हे कोई हॅप्पी बर्थड़े नहीं कहता
लेकिन क्या करूँ
उनके माता पिता तक को याद नहीं
कि
कब और कैसे
पैदा हो गए वह।
2-
अगर दरख्त
फूल फल न देते
तो भी
आज की तरह कटते।
3
उन्हे खूबसूरत कह कर मुसीबत मोल ले ली मैंने,
अब वह आईने की तरह इस्तेमाल करते हैं मुझे।
उन लोगों को
जन्मदिन की बधाइयाँ
जो अपना जन्मदिन नहीं मना पाते
जिन्हे कोई हॅप्पी बर्थड़े नहीं कहता
लेकिन क्या करूँ
उनके माता पिता तक को याद नहीं
कि
कब और कैसे
पैदा हो गए वह।
2-
अगर दरख्त
फूल फल न देते
तो भी
आज की तरह कटते।
3
उन्हे खूबसूरत कह कर मुसीबत मोल ले ली मैंने,
अब वह आईने की तरह इस्तेमाल करते हैं मुझे।
बुधवार, 20 फ़रवरी 2013
समय और समझ
समय और समझ
सगे भाई बहन हैं
समय बड़ा
समझ उसकी छोटी बहन
समय की उंगली पकड़
समझ बड़ी होती है
समय के साथ मिले
अनुभव से
समझ परिपक्व होती है
समय की हथेली में
समझ निवास करती है
समय हमेशा
समझ की रक्षा करता है
तभी तो समय
सदा बलवान होता है।
सगे भाई बहन हैं
समय बड़ा
समझ उसकी छोटी बहन
समय की उंगली पकड़
समझ बड़ी होती है
समय के साथ मिले
अनुभव से
समझ परिपक्व होती है
समय की हथेली में
समझ निवास करती है
समय हमेशा
समझ की रक्षा करता है
तभी तो समय
सदा बलवान होता है।
शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013
खुश रहो
देना चाहता हूँ शुभकामनायें
उन लोगों को, जो,
माना नहीं पाते
अपना जन्मदिन
काट नहीं पाते केक,
बाँट नहीं पाते उपहार, मिठाइयां और
ढेर सारी खुशियां।
मगर कैसे दूँ
उन्हे खुद याद नहीं अपने जन्म की तारीख
वह तो पैदा हो गए थे
ऐसे ही
पिता मजूरी करके आते
माँ बर्तन माँजती, झाड़ू पोछा करती
दोनों थके होते
सोना चाहते
पिता की इच्छा कुलांचे मारती
वह माँ को अपनी ओर खींचते
माँ कसमसाती
पर विरोध नहीं कर पाती
समर्पण कर देती खुद को
पति को ।
फिर दोनों सो जाते
भूल जाते
कोई जीव बन सकता है
इस कारण
इसीलिए
जब यह बच्चे पैदा होते हैं/तो
उनके माता पिता तक
भूल जाते हैं उनके जन्म की तारीख।
इसलिए/देना चाहता हूँ
कहना चाहता हूँ-
जब पैदा हो ही गए हो
तो खुश रहो।
उन लोगों को, जो,
माना नहीं पाते
अपना जन्मदिन
काट नहीं पाते केक,
बाँट नहीं पाते उपहार, मिठाइयां और
ढेर सारी खुशियां।
मगर कैसे दूँ
उन्हे खुद याद नहीं अपने जन्म की तारीख
वह तो पैदा हो गए थे
ऐसे ही
पिता मजूरी करके आते
माँ बर्तन माँजती, झाड़ू पोछा करती
दोनों थके होते
सोना चाहते
पिता की इच्छा कुलांचे मारती
वह माँ को अपनी ओर खींचते
माँ कसमसाती
पर विरोध नहीं कर पाती
समर्पण कर देती खुद को
पति को ।
फिर दोनों सो जाते
भूल जाते
कोई जीव बन सकता है
इस कारण
इसीलिए
जब यह बच्चे पैदा होते हैं/तो
उनके माता पिता तक
भूल जाते हैं उनके जन्म की तारीख।
इसलिए/देना चाहता हूँ
कहना चाहता हूँ-
जब पैदा हो ही गए हो
तो खुश रहो।
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